Yashoda jayanti 2021 : आज है यशोदा जयंती, संतान सुख के ल‍िए पढ़ें ये कथा और 14 बच्‍चों को भोजन का महत्‍व

हिंदू पंचांग के अनुसार, मां यशोदा का जन्म ब्रज गांव में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर हुआ था। यशोदा जयंती के दिन दुनिया भर में मां यशोदा की पूजा की जाती है।

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Yashoda jayanti 2021 
मुख्य बातें
  • फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर मां यशोदा ने लिया था ब्रज में जन्म
  • माता पाटला के कोख से मां यशोदा ने लिया था जन्म, सुमुख माने जाते हैं उनके पिता
  • मां यशोदा की पूजा करने से दूर होती हैं संतान प्राप्ति में आ रही सभी बाधाएं

हर वर्ष मां यशोदा का जन्मदिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष के छठे दिन मनाया जाता है। इस वर्ष मां यशोदा का जन्मदिन यानी यशोदा जयंती 4 मार्च को मनाई जाएगी। ब्रज और गोकुल समेत मां यशोदा का जन्म दिन पूरे विश्व में बहुत ही धूमधाम और श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। उत्तर भारतीय प्रांतों से लेकर दक्षिण भारतीय प्रांतों तक यशोदा जयंती को एक प्रमुख जयंती के रूप में माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त यशोदा जयंती के दिन मां यशोदा की पूजा सच्चे मन से करता है उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। यशोदा जयंती पर इस्कॉन मंदिरों को सजाया जाता है, यहां भक्त दूर-दूर से मां यशोदा की पूजा करने के लिए आते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण को जन्म देने वाली मां देवकी थीं, लेकिन मां यशोदा से भगवान कृष्ण को मातृत्व सुख मिला था। देवकी के भाई कंस के अत्याचारों से बचाने के लिए वासुदेव ने अपने बेटे श्री कृष्ण को नंद बाबा को सौंप दिया था।

यहां जानिए यशोदा जयंती की शुभ तिथि, मुहूर्त, महत्व और मां यशोदा की जन्म कथा।

यशोदा जयंती तिथि और मुहूर्त

  • यशोदा जयंती तिथि- 4 मार्च 2021
  • षष्ठी तिथि प्रारंभ- 4 मार्च 2021 (सुबह 12:21 से लेकर)
  • षष्ठी तिथि समाप्त- 4 मार्च 2021 (रात 09:58 तक)


यशोदा जयंती का महत्व

हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, यशोदा जयंती पर मां यशोदा की पूजा करना बहुत लाभदायक माना जाता है। यशोदा जयंती पर मां यशोदा और श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन मां यशोदा की पूजा करते हैं उन्हें यशस्वी और सुंदर संतान की प्राप्ति होती है। जो लोग संतान संबंधित परेशानियों से जूझ रहे हैं उनके लिए यशोदा जयंती बहुत अनुकूल मानी गई है। कहा जाता है कि मां यशोदा और श्री कृष्ण की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, भक्तों को श्री कृष्ण के बाल रूप के दर्शन करने का सौभाग्य भी प्राप्त होता है।

मान्‍यता है क‍ि यशोदा जयंती पर व्रत रखने और 14 बच्‍चों को भोजन कराने से संतान सुख म‍िलता है और संतान को स्‍वस्‍थ और दीर्घायु होने का आशीर्वाद भी। 

मां यशोदा की जन्म कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रज के गोप सुमुख और उसकी पत्नी के घर भगवान ब्रह्मा की कृपा से एक कन्या का जन्म हुआ था। इस कन्या का नाम यशोदा रखा गया था। शास्त्रों के अनुसार, यशोदा का विवाह ब्रज के राजा नंद के साथ तय किया गया था। ऐसा माना जाता है कि पिछले जन्म में नंद द्रोण के रूप में जन्म लिए थे।

एक और प्रचलित कथा के अनुसार, मां यशोदा के भक्ति से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद स्वरुप वर मांगने का सौभाग्य दिया था। इस पर मां यशोदा ने कहा था कि वह भगवान विष्णु को अपने बेटे के रूप में देखना चाहती हैं। भगवान विष्णु ने मां यशोदा की इच्छा पूरी की और मां यशोदा को बताया कि वह वासुदेव और माता देवकी के घर में जन्म लेंगे लेकिन उन्हें मां का सुख आपसे यानी मां यशोदा से मिलेगा।

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