करवा चौथ के व्रत से तो हर कोई वाकिफ है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रह कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह व्रत केवल सुहागिन महिलाएं ही नहीं बल्कि कुंवारी कन्याएं अपने होने वाले पति के लिए भी रखती हैं। करवा चौथ जैसा ही एक और व्रत है जो सुहागिन महिलाएं नहीं बल्कि उनके पति के लिये होता है। इस व्रत में पति अपनी पत्नी की दीर्घायु के लिए व्रत रखते हैं। इस व्रत का नाम अशून्य शयन है जो चतुर्मास में हर महीने पड़ने वाले कृष्ण पक्ष की द्वितीया को पड़ता है।
यह व्रत सावन के महीने से आरंभ होता है और भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को इस व्रत को करने का विधान है। अगर आप भी अपनी पत्नी से प्यार करते हैं उनकी मंगल कामना के लिये व्रत रखना चाहते हैं तो जानें अशून्य शयन व्रत का महत्व और व्रत रखने की विधि के बारे में....
अशून्य शयन व्रत की पूजा विधि
अशून्य शयन व्रत का महत्व
अशून्य शयन व्रत रखने से पति-पत्नी सदा के लिये खुश रहते हैं। यह व्रत आपकी शादी शुदा जिंदगी पर एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। इसे रखने से शादी में आने वाली बुरी से बुरी परिस्थति भी दूर हो जाती है।
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