Chandra Grahan 2022 Date: सफेदी में लिपटा चांद जब लाल रंग का दिखे, तो इसे ब्लड मून कहा जाता है। कुछ ही घंटो में पूरी दुनिया इसी लाल चांद का चश्मदीद होने जा रही है। भारतीय समयानुसार साल का पहला चंद्र ग्रहण कल यानी 16 मई 2022, सोमवार को सुबह 07 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 20 मिनट ( Lunar eclipse 2022 time in India) पर समाप्त होगा।
ह चंद्र ग्रहण इस सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण होगा। खगोलीय जानकारों के मुताबिक जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है, परिणामस्वरूप आंशिक या पूर्ण चंद्र ग्रहण लग जाता है। सरल शब्दों में कहें तो जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक ही सीध में आ जाते हैं तो चंद्र ग्रहण की स्थिति बन जाती है।
हालांकि भारत में चंद्र ग्रहण (Chandra grahan 2022 time) का प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले जबकि चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है तथा भोजन करना व भोजन बनाना वर्जित माना जाता है। साथ ही चंद्र ग्रहण से तमाम राशियों के जातकों के जीवन में परिवर्तन होता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं क्या और कितने प्रकार का होता है चंद्र ग्रहण।
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क्या होता है चंद्र ग्रहण (What is Chandra Grahan or Lunar Eclipse)
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा और सूर्य के बीच धरती आ जाती है और पृथ्वी की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है, तो आंशिक या पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है। ध्यान रहे चंद्र ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए, कहा जाता है कि ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा से निकलने वाली किरणें आंखों की रेटिना को प्रभावित करती हैं। इसलिए यदि आप चंद्र ग्रहण का अद्भुत नजारा देखना चाहते हैं तो सनग्लास का इस्तेमाल करें। हालांकि भारत में चंद्र ग्रहण का प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा।आप नासा के यूट्यूब चैनल या सोशल मीडिया अकाउंट पर जाकर लाइव देख सकेंगे। साथ ही टाइम्स नाउ नवभारत के आध्यात्म की साइट पर भी लाइव वीडिया उपलब्ध करवा दी जाएगी।
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चंद्र ग्रहण के प्रकार (Types of Chandra grahan)
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है। पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूर्ण रूप से आ जाती है, इस स्थिति में पृथ्वी चंद्रमा को पूर्ण रूप से ढक लेती है, इसे सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है।
दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूर्ण रूप से ना आकर उसकी छाया चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर पड़ती है तो इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। वहीं तीसरा उपच्छाया चंद्र ग्रहण होता है, इस स्थिति में सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में ना होकर पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है।
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