Bahi Khata Puja: दिवाली पर दुकानदार इस शुभ मुहूर्त में करें बही खाते की पूजा, तेजी से बढ़ेगा व्यापार

व्रत-त्‍यौहार
Updated Oct 27, 2019 | 12:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Bahi Khata Puja Time: दिवाली के दिन कई तरह की पूजा होती है जिसमें दुकानदार और कारोबारी बही खातों की भी पूजा करते हैं। इस दिन बही खाता बदलने का खास दिन है। यहां जानें बही खातों की पूजा का मुहूर्त समय...

Diwali 2019 bahi khata laxmi puja
Diwali 2019 bahi khata laxmi puja   |  तस्वीर साभार: Instagram

Diwali Par Kaise Karen Bahi Khata Pujan: आज देशभर में खुशियों का पर्व दिवाली मनाया जा रहा है। इस दिन धन की देवी लक्ष्‍मी और गणेश जी की पूजा का विधान है। यही नहीं आज के दिन धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि दिवाली के दिन व्यापारियों का नया साल शुरू होता है और इसी वजह से वह इस दिन अपने बहीखातों की पूजा करते हैं।

बही खातों के अलावा तराजू और नाप तौल के औजारों की भी पूजा की जाती है। आज के दिन व्यापारी अपने बही खाते बदलते हैं। पूजन से पहले वे बही खाते पर केसर युक्त चंदन या फिर लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हैं। बही खाता पूजन को चोपड़ी पूजन के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप भी व्‍यापार करते हैं तो जानें दिवाली के दिन बही खाते की पूजन विधि-

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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व्यापारियों के लिए पूजा का शुभ मूहूर्त
प्रदोषकाल: शाम 5.30 से रात 8.16 बजे तक
शुभ की चौघड़िया: शाम 7.08 से रात 8.46 बजे तक
अमृत की चौघड़िया: रात्रि 8.46 से 10.23 बजे तक

बही खाता पूजन की विधि
बही खाते की पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में की जानी चाहिये। पूजा शुरू करने से पहले खातों पर लाल चंदन या कुमकुम लगा कर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद स्वास्तिक के ऊपर श्री गणेशाय नमः लिखें। इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करें। मां सरस्वती का ध्यान करने के बाद बही खातों का गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें।

मां लक्ष्मी की पूजन विधि
पूजा स्‍थल पर नवग्रह यंत्र रखें। उस पर सोने या चांदी का सिक्का और कुछ रुपए रखें। फिर गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति रख कर उसे दूध, दही, और गंगाजल से स्‍नान कराएं। फिर मूर्ति को फलों से सजाएं। मूर्ति के दाहिने ओर घी या तेल का पंचमुखी दीपक जला कर पूजा समाप्‍त करें।

 

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