Gayatri Jayanti Mantra: ऐसे हुआ था देवी गायत्री का अवतरण, गायत्री जयंती पर जानें मंत्र जपने का समय और लाभ

Gaytri Jayanti 2020:  गायत्री जयंती ज्येष्ठ माह में शुक्ल की एकादशी तिथि के दिन मनायी जाएगी। पुराणों में देवी गायत्री का अवतरण अचानक माना गया है। आइए, जानें उनकी जन्मकथा...

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Gayatri jayanti, गायत्री जयंती 
मुख्य बातें
  • ब्रह्मा के मुख से अचानक निकला था गायत्री मंत्र
  • देवी गायत्री वेद माता के नाम से भी जानी जाती हैं
  • गायत्री मंत्र जपने से ज्ञान और मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है

गायत्री जयंती दो जून को मनाई जाएगी। इस दिन गायत्री माता के जन्म हुआ था और धार्मिक मान्यता के गायत्री माता के जन्म में ब्रह्माजी मुख का विशेष योगदान रहा है। शास्त्रों में देवी गायत्री को वेद माता के नाम से भी जाना गया है और उन्हें ये नाम इसलिए मिला क्योंकि वेदों की उत्पत्ति का कारण देवी ही हैं। यही नहीं देवी का मूल मंत्र गायत्री मंत्र माना गया है और इस मंत्र में चारों वेदों का सार समाहित हैं। इसलिए गायत्री जयंती पर गायत्री मंत्र जरूर जपना चाहिए।  

ऐसे हुई थीं देवी गायत्री अवतरित

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी के मुख से गायत्री मंत्र अचानक ही निकल गया था और इस तरह देवी गायत्री अवतरित हुईं। साथ देवी गायत्री की कृपा से ब्रह्माजी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के रूप में की थी। पुराणों में उल्लेखित है कि पहले तो गायत्री मंत्र की महिमा सिर्फ देवताओं तक सिमित थी लेकिन  इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या की और तब गायत्री मंत्र आम जन के बीच तक पहुंचाया जा सका।

ऐसे बनी देवी गायत्री ब्रह्मा जी की पत्नी

एक बार ब्रह्माजी ने यज्ञ का आयोजन किए और यज्ञ में पत्नी का साथ होना जरूरी होता है, लेकिन उनकी पत्नी सावित्रि वहां मौजूद नहीं थीं। ऐसे में यज्ञ का मुहूर्त निकल न जाए इसलिए ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद गायत्री माता से अपना विवाह कर लिया और यज्ञ को पूरा किया।

गायत्री जयंती पर जरूर जपें देवी का ये मूल मंत्र

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।

जानें गायत्री मंत्र जपने की विधि और समय

  • गायत्री मंत्र के जप का पहला समय भोर का माना गया है। सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू कर के सूर्योदय तक करना चाहिए।
  • मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर के वक्त का माना गया है।
  • तीसरा समय सूर्यास्त के ठीक पहले का होता है और सूर्यास्त तक इसे जपना चाहिए।
  • यदि सूर्यास्त के बाद गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर इसे करना चाहिए।

गायत्री मंत्र के जाप का लाभ

  1. गायत्री मंत्र का जाप करने वाले मनुष्य के अंदर अपने आप अध्यात्मिक शक्ति जागृत हो जाती है।
  2. इस मंत्र का जाप कराने वाले का मान-सम्मान हर जगह होता है और ऐसे व्यक्ति के पास धन की कमी नहीं होती।
  3. गायत्री मंत्र के जाप मनुष्य के अंदर शुद्ध विचार और ज्ञान की ऊर्जा को बढ़ाता है।
  4. विद्ध्यार्थियों को इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इससे उनका बौद्धिक विकास होता है।
  5. गायत्री मंत्र जपने वालो को शत्रु के भय से मुक्ति मिलती है।

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