मराठियों के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार में से एक गुड़ी पड़वा का पर्व होता है जो हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के पहले महीने के पहले दिन मनाया जाता है। आपको बता दें कि, हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास वर्ष का पहला महीना होता है। इस वर्ष 13 अप्रैल को प्रतिपदा है जिस दिन से चैत्र मास की नवरात्रि प्रारंभ हो रही है।
Gudi padwa 2021 date
इसी के साथ 13 अप्रैल को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाएगा जिसे भारत के दक्षिणी प्रांतों में उगादी कहा जाता है। सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए गुड़ी पड़वा का पर्व बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। जानकार बताते हैं कि बहुत समय पहले इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने इस सृष्टि का निर्माण किया था। कहा जाता है कि इसी दिन से सबसे पहला युग यानी सतयुग प्रारंभ हुआ था।
Gudi padwa significance, facts and importance
अगर आप सनातन धर्म के इस महत्वपूर्ण पर्व के बारे में नहीं जानते हैं तो आपको यह रोचक तथ्य अवश्य जानने चाहिए।
1. नई फसल की होती है पूजा
जैसा कि हमने आपको बताया कि महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है क्योंकि मराठियों के लिए गुड़ी पड़वा से नए साल की शुरुआत होती है। इस दिन महाराष्ट्र समेत भारत के कई प्रांतों में नई फसल की पूजा भी की जाती है।
2. महिलाओं द्वारा लगाया जाता है गुड़ी
इस विशेष पर्व पर लोग नए वर्ष की तरह अपने घरों में साफ-सफाई करते हैं तथा सुंदर रंगोली बनाते हैं। पूजा में उपयोग किए जाने वाले आम के पत्तों से बंदनवार बनाकर लोग अपने घरों के आगे इन्हें सजाते हैं। परंपराओं के अनुसार, गुड़ी पड़वा पर महिलाएं अपने घर के बाहर गुड़ी लगाती हैं।
3. गुड़ी पड़वा पर बनाया जाता है पूरन पोली
भारत में किसी पर्व पर विशेष पकवान ना बने ऐसा तो हो ही नहीं सकता। गुड़ी पड़वा के पर्व पर भी लोग पूरन पोली बनाते हैं जो महाराष्ट्र का जाना माना पकवान है।
4. घर की भलाई के लिए लाया जाता है गुड़ी
परंपराओं के अनुसार, इस दिन घर में गुड़ी लाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह घर की सुख-समृद्धि को बढ़ाता है तथा बुरी आत्मा समेत बुरी शक्तियों को दूर रखता है।
5. गुड़ी पड़वा पर अयोध्या लौटे थे भगवान राम
ऐसा माना जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन रावण का विनाश करने के बाद राम माता सीता को लेकर अपनी नगरी यानी राम नगरी अयोध्या लौटे थे।
6. छत्रपति शिवाजी ने पहली बार मनाया था गुड़ी पड़वा का पर्व
पौराणिक कथाओं और जानकारों के मुताबिक, युद्ध जीतने के बाद मराठों के प्रख्यात राजा छत्रपति शिवाजी ने पहली बार गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया था। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी के गुड़ी पड़वा पर्व मनाने के बाद हर एक मराठा इस पर्व को हर साल मनाता है।
7. नीम खाकर की जाती है दिन की शुरुआत
गुड़ी पड़वा पर लोग सबसे पहले नीम की पत्तियों को खाते हैं। गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियों का सेवन करने से खून साफ होता है तथा इंसान रोग मुक्त रहता है।
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