हिंदू कैलेंडर में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। कार्तिक मास 14 अक्टूबर से 12 नवंबर तक रहेगा। इसमें सूर्य की किरणों एवं चन्द्र किरणों का पृथ्वी पर पड़ने वाला प्रभाव मनुष्य के मन मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। इसीलिए शास्त्रों में कार्तिक स्नान पर विशेष जोर दिया गया है। साथ ही कार्तिक मास के दौरान विशेष तौर पर तुलसी पूजा को महत्वपूर्ण बताया गया है।
इस महीने में भगवान शिव और विष्णु तथा कार्तिकेय और तुलसी की पूजा अर्चना से विशेष मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। इस माह में विष्णु पूजा, दीप दान, व्रत और दान का पुण्य अनंत है। आरोग्यता प्राप्त करने के लिए प्रातः उठकर गंगा स्नान कर तुलसी और पीपल की पूजा कर दीपदान किया जाता है। एक विशेष बात यह भी है कि भक्त पूरे दिन निराहार या फलाहार रहते हैं तथा रात्रि में तारों के उदय होने पर उनको अर्ध्य देते हैं फिर भोजन ग्रहण करते हैं।
दीप दान करने के पीछे का कारण यह है कि कार्तिक मास की प्रथम पंद्रह दिन की रातें सबसे काली रातें होती हैं। भगवान विष्णु के जागने के ठीक पूर्व दीप जलाने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
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