आज अपने पति की लंबी आयु और रक्षा के लिए महिलाएं करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। सूर्योदय के साथ शुरू होने वाला यह त्योहार चंद्रोदय के साथ पूर्ण होता है। सूर्योदय से पूर्व सरगी खा कर यह व्रत महिलाएं शुरू करती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रख कर चांद के निकलने का इंतजार करती हैं। शाम को भगवान शिव, देवी पार्वती और उनके परिवार की पूजा के बाद से ही चांद का इंतजार शुरू हो जाता है।
इस दिन चांद को अर्घ्य देने के बाद ही पूजा और व्रत पूर्ण होता है तो क्या आप चांद को अर्घ्य देने का सही तरीका जानती हैं? इस दिन चांद को जल देते हुए कुछ विशेष मंत्र जाप भी करने चाहिए। तो आइए आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी दें। साथ ही चांद को अर्घ्य देते समय पूजा की थाली में कुछ चीजों का होना जरूरी है, यह भी बताएं।
करवा चौथ का चांद आपके शहर में कब आएगा नजर (Karwa Chauth Moon Rise time)
करवा चौथ का चांद सबसे पहले कोलकाता में रात 7:40 बजे दिखेगा। इसके बाद पटना में यह रात 07:47 बजे नजर आएगा। दिल्ली में करवा चौथ के चांद के दर्शन रात 8:12 बजे के करीब होंगे। करवा चौथ के चांद का सबसे लंबा इंतजार मुंबई में होगा। यह वहां रात 8:52 बजे दिखेगा। वहीं अहमदाबाद में रात 08:45 बजे और चेन्नई में रात 8:33 बजे करवा चौथ का चांद दिखेगा।
चांद को अर्घ्य देने से जुड़ी ये है संपूर्ण विधि और मंत्र (karwa chauth chandra arghya vidhi)
दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को भगवान शिव और देवी पार्वती की विधिवत परिवार समेत पूजा की जाती है। इसके बाद यही बैठकर कथा सुना जाती है। यहां पूजा करने के बाद रात में चंद्रपूजा होती है। चंद्रदेव को अर्घ्य देने के साथ ही उनकी पूजा की थाली में छलनी, आटे का दीपक, फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई और दो पानी करवे में जल होना चाहिए। एक करवे से चंद्रदेव को जल दिया जाएगा और एक करवा पति के लिए होगा। चंद्रोदय होने पर चांद को छलनी से देखने से पहले छलनी पर एक दीप जला लें और तब चांद को देखें। फिर उसी छलनी और दीपक से पति को देखा जाता है। चांद को जब आप जल से अर्घ्य दें तब इन मंत्र का जाप जरूर करें। तभी चंद्र का अर्घ्य देना पूर्ण होगा।
चंद्रदेव अर्घ्य मंत्र : (karwa chauth chandra arghya mantra)
ज्योत्सनापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषामपतेः नमस्ते रोहिणिकांतं अर्ध्यं मे प्रतिग्रह्यताम।।
ॐ सोमाय नम:
ॐ रोहिणिकांताय नम:
ॐ चन्द्रमसे नम:
क्षीरोदार्णव सम्भूतम अत्रिनेत्र समुद्भव ग्रहाणार्ध्यं शशांकेमं रोहिण्यांसहितोमम्।।
अगर ये मंत्र नहीं बोले तो केवल ॐ सोमाय नम: बोल सकते है। चंद्र को अर्घ्य देते जाते समय वो चुन्नी साथ जरूर रखें जिसे कथा सुनते हुए आपने सिर पर रखी थी। आटे के दीये को वहीं जलता हुआ छोड़ दें। जिस करवे से आप को जल पीना है पहले उससे पति को जल पिलाएं और उसके बाद आप उस करवे से जल पीएं। क्योंकि करवाचौथ के दिन पति को परमेश्वर मानकर पहले उन्हें भोग लगाया जाता है और फिर खुद ग्रहण किया जाता है।
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