वेदों और पुराणों के अनुसार, माघ मास बहुत पवित्र महीना होता है जो धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत अनुकूल माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि माघ पूर्णिमा कहलती है। कहा जाता है कि इस दिन धार्मिक कार्य करना फलदायक होता है। माघ पूर्णिमा को भारत के कई प्रांतों में माघी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना बहुत मंगलकारी कहा गया है। दान, तप और जप करने से भगवान माधव खुश होते हैं।
यहां जानिए कब मनाई जाएगी माघ पूर्णिमा, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।
माघ पूर्णिमा का महत्व
माघ पूर्णिमा को बहुत अनुकूल माना जाता है, इस दिन लोग अपने घरों में नई शुरुआत करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन देवता धरती पर अपने कदम रखते हैं और मनुष्य रूप में प्रयाग में जप-तप करते हैं। इसलिए प्रयाग में इस दिन भक्तों का जमावड़ा लगता है। मान्यताओं के अनुसार, पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष मिलता है। इस तिल दान का भी विशेष महत्व है।
माघ पूर्णिमा के लिए पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। अगर आप नदी में स्नान करने में असक्षम हैं तो अपने स्नान करने के जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला लें। स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा कीजिए और उनकी अराधना करके अर्घ्य दीजिए। अब पूरा दिन व्रत रखने का संकल्प लीजिए और श्री कृष्ण या भगवान विष्णु की पूजा कीजिए।
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