मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू धर्म का पावन पर्व है। इस दिन गंगा सहित सभी पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद गरीबों और जरुरतमंदों को दान दिया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दान करने का बहुत बड़ा महत्व है और इसका बत्तीस गुना फल मिलता है। इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बत्तीसी पूनम भी कहा जाता है। इस खास अवसर पर दान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 12 दिसंबर को है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन उपवास रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। इसके साथ ही ऊँ नमो नारायण मंत्र का जाप भी किया जाता है। कहा जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा को अमृत से सिंचित किया गया था, इसलिए इस पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की पूजा भी की जातीहै। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को फलदायी बनाने के लिए इस दिन कन्याओं और स्त्रियों को वस्त्र दान करने का भी महत्व है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा महत्व
मार्गशीर्ष का महीना बहुत पवित्र माना जाता है और पूरे माह प्रातःकाल श्रद्धापूर्वक भजन कीर्तन किया जाता है। इसके अलावा भक्ति गीत गाकर भगवान का स्मरण किया जाता है। मार्गशीर्ष माह में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का भी एक अलग ही महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सतयुग में सभी देवताओं ने मिलकर मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को वर्ष का आरंभ किया था।
इसलिए इस दिन देवों का स्मरण किया जाता है। इसके अलावा मार्गशीर्ष माह में तुलसी की जड़ों से मिट्टी निकालकर शरीर पर इसका लेप लगाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के दौरान नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत फलदायी होता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजन विधि
इस तरह नियमपूर्वक मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर पूजन करने से देवता प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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