हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस बार यह 13 जून को मनाई जा रही है। कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के रूप भैरव की पूजा की जाती है।
पापियों को दंड देने के कारण इनको दंडपाणी भी कहा जाता है। भैरव जी की सवारी काला कुत्ता है। कालभैरव की पूजा देश के कोने कोने में की जाती है। इन्हें देश में अलग अलग नामों से जाना जाता है। जिन लोगों पर राहु की काली दृष्टि है, उनके लिये उपाय का आज श्रेष्ठ दिन है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने के कारण काल भैरव को दंडपाणि भी कहा जाता है।
कालाष्टमी तिथि 12 जून को रात 10 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो गई थी। यह 13-14 जून की मध्यरात्रि में 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगी।
काल भैरव मंत्र
कालाष्टमी के दिन पूजा करने से जुड़ी एक और मान्यता प्रचलित है कि इस दिन जो भी भैरव बाबा की पूजा करता है उसके आस-पास बुरी शक्तियां नहीं भटकती और उसके मन से भय और भूत-पिशाच का डर भी दूर हो जाता है।
साथ ही इस मंत्र का जाप करें
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:
Kalashtmi पर किन बातों का ध्यान रखें
भैरव जी तांत्रिकों के देवता माने गए हैं, इसलिए यह पूजा रात्रि में की जाती है। इस दिन काले कुत्ते को बाकायदे भोजन कराया जाता है।
कालाष्टमी पर राहु का जप करने से लाभ प्राप्त होता है। वहीं बगलामुखी अनुष्ठान भी किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ दान पुण्य भी करें।
Kalashtmi पर करें ये उपाय
- 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- भगवान भैरव को भोजन प्रिय है। अत: पूजा में उनको सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, चिरौंजी, पुए और जलेबी आदि चढ़ाएं।
- कालाष्टमी के दिन से भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसो के तेल का दीपक जलाएं।
- भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए कालाष्टमी पूजा में काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। यदि काला कुत्ता उपलब्ध न हो तो किसी भी कुत्ते को खिलाकर यह उपाय कर सकते हैं।
कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि -विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं। काल उससे दूर हो जाता है।
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