हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 25 दिसंबर को मनाई जाएगी। इसके साथ इस दिन गीता जयंती भी पड़ रही, कहा जाता है कि इस दिन गीता का उद्भाव हुआ था। एक साल में पूरे 24 बार एकादशी का अवसर आता है, यानी महीने में दो बार एकादशी पड़ती है। हर महीने में दो पक्ष होते हैं कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, इन पक्षों के ग्यारहवें दिन को एकादशी के तौर पर मनाया जाता है। मार्गशीर्ष महिने में कृष्ण पक्ष की एकादशी 25 दिसंबर को मनाई जाएगी जिसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। हिंदू ज्ञाताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह या अगहन मास को श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है।
कहा जाता है कि जो भी भक्त मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत करता है वह अपने जन्मो-जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है। साथ में उसके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन मोक्षदायिनी है इसीलिए इस दिन को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस लेख को पढ़िए और मोक्षदा एकादशी से जुड़े सभी जरूरी बातों को जानिए।
मोक्षदा एकादशी तिथि- 25 दिसंबर 2020, शुक्रवार
मोक्षदा एकादशी प्रारंभ- 24 दिसंबर 2020 (रात के 11:17 से)
मोक्षदा एकादशी समापन- 26 दिसंबर 2020 (रात के 01:54 तक)
क्या है इस दिन का महत्व (Mokshada Ekadashi Mahatva)
मोक्षदा एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी पाप हमेशा के लिए मिट जाते हैं और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र मैदान में गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने वाले भक्तों को सुख और समृद्धि मिलती है साथ में उनके दुखों का निवारण होता है।
भगवान श्री कृष्ण ने बताया था इस दिन का महत्व
धर्मराज युधिष्ठिर को मोक्षदा एकादशी का महत्व समझाते हुए श्री कृष्ण ने कहा था कि यह दिन बहुत विशेष है अगर कोई इंसान परमात्मा से मिलना चाहता है तो मोक्ष ही एकमात्र जरिया है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। इस दिन व्रत करने से जन्मो-जन्म के सभी पाप धुल जाते हैं।
मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)
बहुत समय पहले वैखानस नाम का एक राजा गोकुल नगरी में राज्य किया करता था। एक रात राजा ने अपने सपने में यह देखा कि उसके पिता नर्क में बहुत कष्ट झेल रहे हैं और अपने पुत्रों से मोक्ष दिलाने की विनती कर रहे हैं। यह देखकर राजा अपने पिता के लिए बहुत विचलित हुआ और अपने सभी दरबारियों को बुलाकर इस समस्या का समाधान ढूंढने लगा। उसने ब्राह्मणों को बुलाया और अपने सपने के बारे में उन सब को बताया। तब सभी ब्राह्मणों ने राजा को बोला कि पर्वत नाम का एक मुनि आपके समस्याओं का समाधान करेगा। ब्राह्मणों के कहने पर राजा ने ऐसा ही किया और पर्वत नाम के मुनि के पास जा कर उसने अपने पिता के चिंता का निवारण पूछा। तब मुनि ने राजा को बताया कि पिछले जन्म के पापों के कारण उनके पिता को अब तक मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई है।
अपने पिछले जन्म में आपके पिता ने आपकी मां के साथ बहुत झगड़ा किया था और आपकी मां के ना कहने के बावजूद भी आपके पिता ने उनके साथ मासिक धर्म में संभोग किया था। अगर आप मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत करेंगे तो उसका फल आपके पिता को मिलेगा और उनको मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। पर्वत मुनि की बात सुनकर राजा ने मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन करवाया। दक्षिणा और वस्त्र भेंट देकर उनका आशीर्वाद लिया। जैसा पर्वत मुनि ने कहा था बिल्कुल वैसा ही हुआ और राजा के पिता अपने पापों से मुक्त हो गए।
मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि (Mokshada Ekadashi Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर अपने पूजा घर को साफ कर लीजिए। फिर भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लीजिए और गंगाजल छिड़क कर आपने पूजा घर को पवित्र कीजिए। ऐसा करने के बाद भगवान विष्णु को स्नान करवाइए और उनके सामने घी का दिया जलाइए। दीया जलाने के बाद भगवान विष्णु की आरती पढ़िए और पूजा कीजिए। इस दिन चौबीसों घंटे व्रत रखा जाता है। अगले दिन नहा धोकर व्रत का पारण कर लीजिए।
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