Navratri: नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी चंद्रघंटा की उपासना, मनोकामना मंत्र के साथ करें इस स्त्रोत का पाठ

व्रत-त्‍यौहार
Updated Oct 01, 2019 | 06:30 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

मां दुर्गा (Maa Durga) का तीसरा स्वरूप देवी चंद्रघंटा (Devi Chandraghanta) हैं। देवी समस्त कष्टों और दुखों का अंत करने वाली मानी गई हैं। इसलिए नवरात्रि (Navratri) में मां की पूजा विधिपूर्वक करें। 

Chandraghanta
Chandraghanta  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • नवरात्रि के तीसरे दिन मां मां चंद्रघंटा की पूजा होती है।
  • मां चंद्रघंटा दुखों और कष्टों का नाश करने वाली होती हैं
  • मां की पूजा करने से इंसान में अपार शक्ति का विकास होता है

नवरात्रि में मां चंद्रघंटा का उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भयी हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां के चंद्रघंटे की ध्वनि से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां के इस स्वरूप का उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र से पड़ा है। देवी का शरीर स्वर्ण के समान उज्ज्वल हैं और उनके दस हाथ हैं। देवी के दसों हाथों में खड्ग, बाण आदि जैसे शस्त्र सुशोभित हैं। मां का वाहन सिंह है। मां की पूजा करने वाले को माता निर्भय होने का आशीर्वाद देती हैं। मां की पूजा विधि-विधान से करने के साथ ही उनके ध्यान मंत्र, पूजा मंत्र स्त्रोत का पाठ

करना भी बहुत जरूरी माना गया है। मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार खत्म होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है। तो आइए जानें की मां की पूजा कैसे की जाए।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा विधि
माता की चौकी को गंगाजल से शुद्ध करें पूजन का संकल्प लेते हुए वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों से मां चंद्रघंटा सहित समस्त देवताओं की षोडशोपचार पूजन करें। मां का सुनहरे या भूरे रंग के परिधान अर्पित करें और इसके बाद केसरिया रंग का भोग चढ़ाएं। मां के चरणों में पीला या सफेद फूल अर्पितक करें। इसके बाद पंचामृत का भोग लगाएं। धूप-दीप नैवेद्य चढ़ा कर मां को प्रणाम कर इस मंत्र को कम से कम 108 बार जाप करें।

"या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।"

इसके बाद मां के इस पूजन का मंत्र जाप करें
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।

सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

देवी मां के समक्ष इस स्तोत्र का पाठ करें
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥

नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥

देवी पूजा का महत्व
नवरात्रि में तीसरे दिन मां चंद्रघंटा देवी की पूजा करने से माना जाता है कि इंसान को वीरता और निर्भयता का आशीर्वाद मिलता हे। देवी इंसान के अंदर सौम्यता और विनम्रता का वास करती हैं। ऐसे लोगों को जिनपर ऊपरी छाया हो उन्हें मां की पूजा का विशेष लाभ मिलता है।

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