Papmochani ekadashi 2021 : हर वर्ष मनाए जाने वाली 24 एकादशियों में से एक पापमोचनी एकादशी है जो चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पापमोचनी एकादशी 7 अप्रैल को मनाई जाएगी। बाकी एकादशियों की तरह इस एकादशी पर भी भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है तथा व्रत रखा जाता है। मान्यता के अनुसार, जो भक्त पापमोचनी एकादशी व्रत रखता है तथा भगवान विष्णु की विधि अनुसार पूजा करता है उसके जन्म जन्मांतर के पास मिट जाते हैं तथा वह मोक्ष का हकदार होता है।
जानकारों के मुताबिक पापमोचनी एकादशी व्रत का श्रवण करना बेहद लाभदायक माना जाता है। कहा जाता है कि जो भक्त पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा सुनता है उसे इस व्रत का पूरा फल मिलता है।
Papmochani ekadashi vrat katha, पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा
बहुत समय पहले, चैत्ररथ सुंदर नाम के एक वन में प्रख्यात ऋषि च्यवन अपने ओज और तेज से भरपूर पुत्र मेधावी के साथ रहा करते थे। एक दिन मेधावी तपस्या में लीन था तभी स्वर्ग लोक की एक अप्सरा जिसका नाम मंजुघोषा था, वह वहां से गुजरी। मेधावी को देखते ही मंजुघोषा उसकी दीवानी हो गई। अप्सरा ने मेधावी को लुभाने की काफी कोशिश की लेकिन वह इस कार्य में असफल रही।
मंजुघोषा कि इन सभी कोशिशों को कामदेव देख रहे थे जो वहां मौजूद थे। वह मंजुघोषा की भावना से भलीभांति परिचित हो गए थे। मेधावी को लुभाने में कामदेव ने मंजुघोषा की मदद करने लगे और वह दोनों सफल रहे। मेधावी और मंजुघोषा दोनों अपने जीवन में काफी खुश थे लेकिन कुछ समय बाद मेधावी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने मंजुघोषा को श्राप दे दिया। मेधावी के श्राप के वजह से मंजुघोषा पिशाचिनी बन गई थी।
ऐसे मिली मंजुघोषा और मेधावी को पाप से मुक्ति
मंजुघोषा मेधावी से क्षमा याचना करने लगी और इस श्राप से मुक्त होने का उपाय मांगने लगी। तब मेधावी ने अप्सरा को पापमोचनी एकादशी व्रत करने का उपाय बताया। जैसे-जैसे मेधावी ने उसे व्रत की विधि बताई थी वैसे-वैसे मंजुघोषा उसे पूरा करती रही। मंजुघोषा पापमोचनी एकादशी व्रत के वजह से अपने पापों से मुक्त हो गई जिसके बाद मेधावी ने भी इस एकादशी का व्रत किया और अपने पापों से मुक्त हो गया। फलस्वरूप मेधावी को अपना ओज और तेज वापस मिल गया।
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