Paush Purnima Vrat 2020: पौष पूर्णिमा पर स्नान और दान का है विशेष महत्व, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व महत्व

Paush Purnima Puja Method: पौष महीना सूर्यदेव का माह कहा गया है। पौष पूर्णिमा 10 जनवरी से प्रारंभ हो रही है और पूर्ण 11 जनवरी की दोपहर में होगी। 

Paush Purnima Puja Method
Paush Purnima Puja Method  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • इस दिन तिल,गुड़ और कंबल का दान करें। 
  • इस दिन सूर्य को अर्घ्य और चंद्र की पूजा करें।
  • भगवान मधुसूदन की पूजा कर, नैवेद्य अर्पित करें।

पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। पौष पूर्णिमा पर स्नान,दान और पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष फल मिलता है। पौष मास धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए वैसे भी फलदायी माना गया है। यदि पूरे मास आप पूजा या दान-पुण्य न कर सके हों तो पौष पूर्णिमा के दिन नदी पर स्नान कर दान करना बहुत ही फलदायी होता है। इस दिन धार्मिक कर्मकांड के लिए नदी तट पर विशेष पूजा की जाती है। काशी, हरिद्वार और प्रयागराज में पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान का अपना ही महत्व होता है। 

पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त
जनवरी 10, 2020 को 02:36:23 से पूर्णिमा आरम्भ
जनवरी 11, 2020 को 00:52:53 पर पूर्णिमा समाप्त

पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष महीना सूर्यदेव का माह कहा गया है। यही कारण है कि इस माह में सूर्यदेव की पूजा करना इंसान को जीवन में सूर्य समान तेज और आत्मबल देता है। सूर्य की अराधाना करने से इस लोक ही नहीं परलोक में भी विशेष स्थान दिलाता है। पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना बहुत ही पुण्यदायी होता है। पौष का महीना सूर्य देव का लेकिन पौष पूर्णिमा चंद्रमा की होती है। इसलिए इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजा करनी चाहिए। इससे न केवल जीवन की समस्या और बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि असाध्य मनोकामनाएं भी 
होती हैं। 

पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

  • पौष पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लें। 
  • स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें। 
  • इसके बाद सूर्य उदय होते ही सूर्य मंत्र के साथ उन्हें जल अर्पित करें। 
  • स्नान के बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करें और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। 
  • दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र शामिल करें। गरीब या ब्राह्मण को दान दें। 

आज ही के दिन सूर्य और चंद्रम का संगम भी होता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि यह महीना सूर्य देव का माह है और चंद्रमा की तिथि है।

 


 

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