Pitru Paksha 2019 : पुत्र ही नहीं, इन्हें भी है पिंडदान का हक, जानें क्या कहता है शास्त्र

व्रत-त्‍यौहार
Updated Sep 18, 2019 | 08:04 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

पितरों का पिंडदान उन्हें शांति और मोक्ष देता है और इसे कोई भी कर सकता है। पिंडदान करने से घर में सुख-शांति आती है। शास्त्रों में ये वर्णित है कि श्राद्ध पुरुष ही नहीं स्त्री भी कर सकती है।

Pitru Paksha
Pitru Paksha  
मुख्य बातें
  • पुत्र ही नहीं कई लोगों को पिंडदान का अधिकार है
  • पत्नी, बेटी या दत्तक पुत्र या पुत्री भी कर सकतें हैं श्राद्ध
  • परपौत्र या परपौत्री भी दे सकती है पितरों को तपर्ण

पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करना बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है और वह अपने परिवार को खुश रहने का आर्शीवाद देते हैं। पितरों की शांति के लिए पितृपक्ष में पिंडदान किया जाता है ताकि उनकी आत्मा प्रेतयोनि से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति कर सके, लेकिन आप ये सोच कर यदि पिंडदान नहीं करते कि आपके पास पुत्र नहीं तो आपको अपनी सोच को बदलने की जरूरत है।

पिंडदान का हक हर किसी को है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। शास्त्रों में विस्तार से इस बारे में जानकारी दी गई है कि पिंडदान का हक किस-किस को हो है।

जानें कौन-कौन हैं श्राद्ध करने के अधिकारी

  1. पत्नी या सगा भाई कर सकता है पिंडदान
  2. पति की मृत्यु के बाद उसके पिंडदान का हक उसकी पत्नी को भी है। पत्नी के अलावा सगा भाई भी पिंडदान कर सकता है।
  3. पुत्री या नाती करता है पिंडदान
  4. पिता को पुत्र पिंडदान देता है, यदि पुत्र नहीं है तो ये हक पुत्री को भी प्राप्त है। पुत्री अपने पुत्र से भी पिता का पिंडदान करा सकती है।
  5. बड़े या छोटे पुत्र करते हैं पिंडदान
  6. यदि किसी को एक से अधिक पुत्र हों तो पिंडदान का अधिकार बड़े पुत्र को होता है यदि बड़ा न कर पाए तो ये हक छोटे पुत्र को होता है।
  7. पौत्र या परपौत्र भी कर सकता है पिंडदान
  8. पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध का अधिकार होता है। पुत्र या पुत्री के अलावा ये भी पिंडदान के अधकारी होते हैं।
  9. पति भी कर सकता है श्राद्ध
  10. यदि पत्नी का श्राद्ध करने के लिए पुत्र नहीं तो ये हक पति को भी होता है। पति अपनी पत्नी का पिंडदान कर सकता है।
  11. भतीजा भी कर सकता है पिंडदान
  12. पुत्र, पौत्र या पुत्री यदि किसी की नहीं तो पिंडदान का हक उसके भतीजे को भी होता है। यदि गोद लिया या दत्तक पुत्र या पुत्री हो तो वह भी पिंडदान कर सकते हैं।
  13. बहू भी कर सकती है पिंडदान
  14. पुत्र के न होने पर पिंडदान का हक बहु को भी होता है। सीता जी ने राजा दशरथ का पिंडदान फल्गु नदी के किनारे किया था।

श्राप दे कर लौट जाते हैं पूर्वज
पितृपक्ष में पूर्वज धरती पर पिंडदान की आस में आते हैं यदि उनके परिजन उनका श्राद्ध नहीं करते तो वह दुखी हो जाते हैं और परिजनों को श्राप देकर वह मृत्युलोक में वापस लौट जाते हैं।

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