Pitru Amavasya 2019 date: पितृ अमावस्या का बहुत महत्व है। ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार जिसको अपने पितरों को श्राद्ध की तिथि ना ज्ञात हो या जो किसी कारण अपने पितरों का श्राद्ध निश्चित तिथि पर न कर पाए हों, ऐसे लोग पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते हैं। पितृ अमावस्या के महत्व पर प्रकाश डालने के पहले ये अवश्य जान लें कि इस अमावस्या को कई पुण्य आत्माओं को प्रसन्न करके वरदान भी प्राप्त कर सकते हैं।
पितृ अमावस्या के महत्व के निम्न बिंदु-
पितृ अमावस्या है त्रि पिंडी श्राद्ध के लिए सर्वश्रेष्ठ तिथि-
बहुत से लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं। पितृ दोष के कारण संतान नहीं होती। गृह क्लेश होते हैं। आर्थिक स्थिति गड़बड़ रहती है। जातक परिश्रम तो बहुत करता है लेकिन उसको मनोवांछित सफलता नहीं मिलती है। इस दोष के कारण संतान प्राप्ति भी नहीं होती तथा संतान यदि होती भी है तो उसके प्रगति के मार्ग में तमाम बाधाएं आती हैं। इसलिए इस दोष को हमेशा हमेशा के लिए दूर करना अति आवश्यक है। इसलिए पितृ अमावस्या के दिन त्रिपिंडी श्राद्ध का अनुष्ठान करवाते हैं। वाराणसी में पिशाच मोचन में इसका अनुष्ठान होता है।
श्री मारकण्डेय महादेव मंदिर में भी जहां गंगा तथा गोमती का संगम है वहां भी यह पूजा होती है। इसके अलावा किसी नदी के तट पर या शिव मंदिर में यह पूजा करवायी जा सकती है। पितृ अमावस्या इसकी सर्वश्रेष्ठ तिथि है। इसके अलावा राहु तथा केतु के बीज मंत्र का जप भी साथ में करवा दिया जाय तो और भी बेहतर परिणाम आएगा।
इस प्रकार पितृ अमावस्या के दिवस का उपयोग करके हम पितरों के लिए अपनी श्रद्धा प्रदर्शित करते हैं तथा अपना समर्पण दर्शाते हैं।
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