Skanda Sashti: आज के दिन होती है पार्वती और शिव के पुत्र कार्तिकेय की पूजा, व्रत रखने से जल्‍द होता है विवाह

व्रत-त्‍यौहार
Updated Oct 03, 2019 | 09:32 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Skanda Sashti vrat 2019: स्कन्द षष्ठी का व्रत माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के लिये रखा जाता है। लंबी बीमारी से परेशान लोग इस दिन पूरी विधि से पूजा कर फल की प्राप्‍ति कर सकते हैं। 

Skanda Sashti vrat
Skanda Sashti vrat  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • कार्तिकेय की पूजा 6 दिनों तक चलती है
  • दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से जाना जाता है
  • मुरुगन की पूजा करने से व्यापार में लाभ होगा

Skanda Sashti: स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को समर्पित व्रत माना जाता है। कार्तिकेय की पूजा 6 दिनों तक चलती है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से जाना जाता है। इन इलाकों में कार्तिकेय की विशेष रूप से पूजा की जाती है जिसे स्कंद षष्ठी पूजा भी कहते हैं। 

कहते हैं कि स्कंद षष्ठी व्रत के पहले भगवान मुरुगन की पूजा करने से व्यापार में लाभ होगा। यही नहीं जिन लोगों के विवाह में देरी आ रही है उनके लिये भी यह व्रत फलदायी माना जाता है। स्कंद षष्ठी मुरुगन के जन्म और असुरों के नाश की खुशी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन कई जगहों पर जुलूस निकाले जाते हैं और विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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स्कन्द षष्ठी कब मनायी जाती है
आमतौर पर तमिल और तेलुगु भाषी क्षेत्रों में यह त्योहार मनाया जाता है। स्कन्द षष्ठी प्रत्येक महीने जब शुक्ल पक्ष की पंचमी एवं षष्ठी एक साथ पड़ती है, तब मनाया जाता है। यह त्योहार वर्ष में बारह बार मनाया जाता है। इस महीने 3 सितंबर, गुरुवार को स्कन्द षष्ठी मनायी जा रही है। माना जाता है कि जब पंचमी तिथी के खत्म होने पर षष्ठी तिथि शुरू होती है तब सूर्यादय एवं सूर्यास्त के बीच स्कन्द तिथि की शुरूआत होती है। इस दिन दक्षिण भारत के लोग व्रत रखकर मंदिर जाकर भगवान मुरुगन की पूजा करते हैं। यह त्योहार 6 दिनों तक मनाया जाता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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स्कन्द षष्ठी पूजा विधि

  • इस दिन तड़के सुबह स्नान करके नए वस्त्र धारण करें और उपवास रखें।
  • व्रत रखकर घर के एक कोने में भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें और दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पूरे विधि विधान से पूजा करें।
  • पूजन सामग्री में घी और दही शामिल करें और जल में पुष्प डालकर भगवान को अर्घ्य दें।
  • इसके बाद भगवान कार्तिकेय की आराधना के लिए 'देव सेनापते स्कन्द कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥' मंत्र पढ़ें।
  • शाम को उपवास खोलें और फलाहार लें।
  • रात को जमीन पर सोएं।


​आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान कार्तिकेय को मुरूगन और सुब्रमण्यम के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय को चम्पा का फूल अत्यधिक प्रिय है, इस कारण स्कन्द षष्ठी को चम्पा षष्ठी भी कहा जाता है।

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