हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन का महीना अंतिम महीना होता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में विजया एकादशी बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऐसा कहा जाता है कि विजया एकादशी पर श्रीहरि की पूजा करना बहुत फायदेमंद होता है। जो भक्त श्रद्धा भाव से विजया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करता है और व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं साथ में उस इंसान को हर एक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
इस वर्ष विजया एकादशी 9 मार्च को मनाई जाएगी। विजया एकादशी के दिन भजन-कीर्तन करना लाभदायक माना जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने से और दान देने से घर में सुख-शांति का वास होता है। कहा जाता है कि विजया एकादशी पर पूजा करके कथा अवश्य सुननी चाहिए इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और वरदान देते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने विजया एकादशी का महत्व जानना चाहा। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कहा कि नारद मुनि ने भी भगवान ब्रह्मा से यही प्रश्न पूछा था। धर्मराज युधिष्ठिर की जिज्ञासा को शांत करने के लिए श्री कृष्ण ने उन्हें विजया एकादशी व्रत की महिमा को बताते हुए कहा कि जब भगवान श्री राम वानर सेना के साथ माता सीता को लंका से आजाद कराने जा रहे थे तब रास्ते में उनका सामना एक विशाल समुद्र से हुआ था। यह समुद्र वानर सेना के लिए हानिकारक साबित हो सकती थी इसीलिए भगवान राम समुद्र को पार करने के लिए रास्ता ढूंढ रहे थे।
भगवान राम ने लक्ष्मण से इस विशालकाय समुद्र को पार करने के लिए उपाय पूछा तब लक्ष्मण ने उन्हें कहा कि आधे योजन पर वकदालभ्य नाम के एक ऋषि रहते हैं जिनके पास कोई ना कोई रास्ता जरूर होगा। लक्ष्मण की बात मान कर भगवान राम वकदालभ्य मुनिवर से मिलने चले गए। वकदालभ्य मुनिवर ने भगवान राम को एकादशी व्रत करने का उपाय बताया और कहा कि यह व्रत समुद्र पार करने के साथ लंका पर विजय प्राप्त करने में आपकी मदद करेगा। वकदालभ्य ऋषि की बात मानकर भगवान राम, लक्ष्मण, हनुमान और सुग्रीव समेत पूरी वानर सेना ने विजया एकादशी पर व्रत रखा और माता सीता को रावण के बंधन से आजाद करवा कर लाए।
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