नई दिल्ली : वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी 30 अप्रैल को है। इस संकष्टी चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने का पारंपरिक विधान है। इस दिन शिव परिवार की पूजा करना भी शुभ फल दायक माना जाता है। संकष्टी का अर्थ मुक्ति या उद्धार होता है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी मुश्किलें, दुख, शोक और पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा विधि
भगवान गणपति की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी पर एकदम सुबह उठें तथा नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान आदि स्वच्छ कपड़े पहन लें। आपको भगवान गणेश की पूजा अभिजीत, विजया या गोधूलि मुहूर्त पर करना चाहिए। पूजा करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और उनका आह्वान करें। भगवान गणेश की प्रतिमा या मूर्ति के सामने दीया जलाएं और गणेश जी की आरती करें। आरती करने के बाद भगवान गणेश के श्लोक और मंत्रों का जाप करें।
भगवान गणेश का श्लोक
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
भगवान गणेश का मंत्र
विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने के बाद मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। मंत्रों का जाप करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करने से सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है तथा जीवन में आ रही सभी बाधाओं का विनाश होता है।
1. ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्।
2. ॐ गं गणपतये नमः।
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