Vikata Sankashti Chaturthi 2020: कब है विकट संकष्टी चतुर्थी, जानें इसका शुभ मुहूर्त और महत्व

Vikata Sankashti Chaturthi: विकट संकष्टी चतुर्थी इस बार 11 अप्रैल को मनाई जा रही है। जानें क्या है इस दिन का खास महत्व और कैसे की जाती है भगवान गणपति की पूजा।

Vikata Sankashti Chaturthi 2020
Vikata Sankashti Chaturthi 2020 
मुख्य बातें
  • विकट संकष्टी चतुर्थी इस साल 11 अप्रैल को मनाई जा रही है
  • इस दिन भगवान गणपति के विकट रूप की पूजा होती है
  • इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, इस दिन भगवान के विकट रूप को पूजा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन के सभी दुख- दर्द दूर हो जाते हैं और मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है। कहा यह भी जाता है कि इस दिन गणपति का पूजन करने से बांझ स्त्रियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। जानें कब है विकट संकष्टी चतुर्थी, क्या है इसका मुहूर्त और पूजा विधि। 

कब है विकट संकष्टी चतुर्थी

इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी 11 अप्रैल को मनाई जाएगी। वहीं संकष्टी के दिन चन्द्रोदय रात 10 बजकर 31 मिनट पर है। 

क्या है विकट संकष्टी का महत्व

हिंदू पंचांग के मुताबिक एक मास में दो बार चतुर्थी तिथि आती है। अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष के चौथे दिवस यानी चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। चैत्र मास के शुक्लपक्ष की संकष्टी चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में इसे बहुत महत्व दिया गया है। माना जाता है कि इस खास दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और व्यक्ति की सभी मंगल कामनाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए इस दिन हर व्यक्ति को पूरे विधि विधान से भगवान की पूजा करनी चाहिए। 

इस दिन देसी घी के साथ बिजौरे नींबू का हवन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन हवन करने से बांझ महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति होती है। गणपति की पूजा करने से घर से सारी नकारात्मकता दूर होती है और परिवार वालों के बीच में शांति बनी रहती है।

विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

- सूर्योदय से पहले उठकर नित्यक्रिया करने के बाद साफ पानी से स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
- चौकी पर हरा कपड़ा बिछाकर गणपति भगवान की मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान गणपति के मंत्र ॐ गं गणपतयै नम:' का जाप करें।
- इसके बाद कलश स्थापना करें और उसमें साबुत हल्दी, दूर्वा, सिक्के, जल व गंगाजल डालें।
-भगवान गणेश को फल, फूल और वस्त्र अर्पित करें।
- गणेश जी की कथा सुनें व आरती गाएं।
- इसके बाद श्रीगणेश को लड्डूओं का भोग लगाएं। 
- घी व बिजौरा नींबू से हवन करें और भगवान गणेश को याद करें।
- इन लड्डूओं को चढ़ाने के बाद प्रसाद के रूप में बांट दें।

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