भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का रचयिता माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु सृजन के देवता हैं। हर वर्ष कन्या संक्रांति की तिथि पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है और भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कार्य स्थलों की पूजा करने से कारोबार में मुनाफा होता है साथ में धन संपदा में भी बढ़ोतरी होती है। इस वर्ष माघ मास के शुक्ल त्रयोदशी तिथि यानी 25 फरवरी को विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा की आज्ञा से भगवान विश्वकर्मा ने इस ब्रम्हांड का निर्माण किया था। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग लोक, द्वारिका, इंद्रपुरी, हस्तिनापुर, जगन्नाथपुरी, लंका, भगवान शिव का त्रिशूल, कर्ण का कुंडल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और इस ब्रम्हांड का निर्माण किया था। इतना ही नहीं भगवान विश्वकर्मा को वास्तु देव का पुत्र भी कहा जाता है।
भगवान विश्वकर्मा की कृपा दृष्टि प्राप्त करने के लिए यहां जानिए मंत्र और पूजा विधि।
विश्वकर्मा जयंती पर इन मंत्रों का करें जाप
ॐ आधार शक्तपे नमः
ॐ कूमयि नमः
ॐ अनंतम नमः
ॐ पृथिव्यै नमः
मान्यताओं के अनुसार, विश्वकर्मा जयंती पर इन मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है कि मंत्रों का जाप करने से और विधिवत तरीके से पूरा करने से व्यापार में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इतना ही नहीं घर में धन की कमी दूर होने लगती है और सारे कष्टों का निवारण हो जाता है।
विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि
विश्वकर्मा जयंती के दिन प्रातः काल उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान आदि करने के बाद अपने पूजा घर को साफ कर लेना चाहिए फिर चौकी लगा कर और साफ कपड़ा बिछाकर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए। आप अपने हाथों में फूल और अक्षत लीजिए और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान कीजिए। ध्यान लगाने के बाद ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप कीजिए और भोग लगा कर आरती कीजिए। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के बाद अपने कार्यस्थल और औजारों की पूजा कीजिए।
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