नवंबर 2019 का महीना धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। इस महीने की शुरुआत ही छठ पूजा के साथ हो रही है। बता दें कि छठ पूजा ही एक ऐसा त्योहार है जिसमें कोई कर्मकांड नहीं होता। इसमें सूर्यदेव की मानस बहन छठी देवी की पूजा की जाती है। वहीं इसी महीने देवुत्थान (देवउठनी) एकादशी भी है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश जैसे तमाम मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।
इसके बाद 9 तारीख को तुलसी विवाह है। फिर 12 तारीख को कार्तिक पूर्णिमा है। इसी दिन गुरु नानक जयंती भी है। नवंबर में ही वृश्चिक संक्रान्ति भी है। यानी तब सूर्य देव का प्रवेश वृश्चिक राशि में होगा। महीने के अंत में उत्पन्ना एकादशी और मार्गशीर्ष अमावस्या जैसे पर्व आएंगे।
तारीख | दिन एवं व्रत-त्योहार |
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01, नवंबर | शुक्रवार - लाभ पंचमी |
02, नवंबर | शनिवार - छठ पूजा, सूर सम्हारम |
03, नवंबर | रविवार - भानु सप्तमी, अष्टाह्निका विधान प्रारम्भ |
04, नवंबर | सोमवार - गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी |
05, नवंबर | मंगलवार - अक्षय नवमी, जगद्धात्री पूजा |
07, नवंबर | बृहस्पतिवार - कंस वध |
08, नवंबर | शुक्रवार - देवुत्थान एकादशी, भीष्म पञ्चक प्रारम्भ, योगेश्वर द्वादशी |
09, नवंबर | शनिवार - तुलसी विवाह, प्रदोष व्रत, शनि त्रयोदशी |
10, नवंबर | रविवार - वैकुण्ठ चतुर्दशी, विश्वेश्वर व्रत, मिलाद उन-नबी, ईद-ए-मिलाद |
11, नवंबर | सोमवार - मणिकर्णिका स्नान, चौमासी चौदस |
12, नवंबर | मंगलवार - देव दीवाली, कार्तिक पूर्णिमा, पुष्कर स्नान, पूर्णिमा उपवास, गुरु नानक जयन्ती, भीष्म पञ्चक समाप्त, अष्टाह्निका विधान पूर्ण, रथ यात्रा |
13, नवंबर | बुधवार - मार्गशीर्ष प्रारम्भ *उत्तर, मासिक कार्तिगाई |
14, नवंबर | बृहस्पतिवार - रोहिणी व्रत |
15, नवंबर | शुक्रवार - संकष्टी चतुर्थी |
16, नवंबर | रविवार - वृश्चिक संक्रान्ति, मण्डला काल प्रारम्भ |
19, नवंबर | मंगलवार - कालभैरव जयन्ती |
22, नवंबर | शुक्रवार - उत्पन्ना एकादशी |
23, नवंबर | शनिवार - गौण उत्पन्ना एकादशी, वैष्णव उत्पन्ना एकादशी |
24, नवंबर | रविवार - प्रदोष व्रत |
25, नवंबर | सोमवार - मासिक शिवरात्रि व्रत |
26, नवंबर | मंगलवार - मार्गशीर्ष अमावस्या, दर्श अमावस्या |
27, नवंबर | बुधवार - चन्द्र दर्शन |
30, नवंबर | शनिवार - विनायक चतुर्थी |
तो इस लिस्ट को नोट कर लें और पूरी श्रद्धा से नवंबर 2019 में आने वाले पर्वों को मनाएं और देवों को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखें।
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