नई दिल्ली: अगर हौसले बुलंद हों और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो उम्र बाधा नहीं बनती और हरियाणा की 105 साल की धाविका रामबाई ने 100 और 200 मीटर की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत कर इसे सही साबित कर दिया। चरखी दादरी जिले के कदमा गांव की रामबाई ने वडोदरा में आयोजित राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के शुरुआती दिन 100 और 200 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित करने के साथ उम्र को बौना साबित किया। उन्होंने इसके साथ ही दिवंगत मान कौर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया जिन्होंने 101 साल की उम्र में इस तरह की दौड़ में हिस्सा लिया था।
‘‘यह एक दुर्लभ अहसास है’’
अपनी इस उपलब्धि के बाद रामबाई ने कहा, ‘‘अब मुझे कोई रोक नहीं सकता।’ इस स्पर्धा में सब की नजरें रामबाई पर ही थीं और उन्होंने 100 मीटर की दौड़ को 45.40 सेकंड और 200 मीटर दौड़ को एक मिनट 52.17 सेकंड में पूरा कर ‘गोल्डन डबल’ हासिल किया। उनसे पहले मान कौर ने 2017 में 101 साल की उम्र में 100 मीटर की दौड़ को 74 सेकंड में पूरा किया था। रामबाई ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं। यह एक दुर्लभ अहसास है।’’ उम्र के इस पड़ाव पर भी खुद को इतना फिट रखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं हर सुबह जल्दी उठती हूं और जॉगिंग करती हूं। मैं अपने घर के सारे काम खुद करती हूं। मैं खेतों मैं भी रोज काम करती हूं ।’’
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1917 में हुआ रामबाई का जन्म
रामबाई का जन्म 1917 में हुआ था, जब प्रथम विश्व युद्ध अपने चरम पर था और जॉर्ज पंचम (महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के दादा) का भारत पर शासन था। रामबाई ने एक साल पहले ही दौड़ना शुरू किया है और कहा, ‘‘मेरा यह प्रदर्शन मुझे अच्छा करने के लिए प्रेरित करेगा।’’ उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘‘अब कोई मुझे रोक नहीं सकता है। मुझे खुद पर भरोसा है। मैं अब विदेश में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना चाहती हूं। ’’ रामबाई की पोती शर्मिला सांगवान ने कहा कि इस प्रतियोगिता में उनकी दादी के बाद दूसरे सबसे उम्रदराज धावक की उम्र 84 वर्ष है।
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