एथलेटिक्स कोच निकोलई स्नेसारेव एनआईएस पटियाला होस्टल के कमरे में मृत पाये गये

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भाषा
Updated Mar 05, 2021 | 23:40 IST

Nikolai Snesarev death: भारत के बेलारूसी एथलेटिक्स कोच निकोलई स्नेसारेव एनआईएस पटियाला के एक कमरे में मृत पाए गए हैं।

Nikolai Snesarev
निकोलई स्नेसारेव  |  तस्वीर साभार: Twitter

पटियाला: भारत के मध्यम और लंबी दूरी (दौड़) के कोच निकोलई स्नेसारेव शुक्रवार को यहां राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) में अपने होस्टल के कमरे में मृत पाये गये। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने इसकी जानकारी दी। बेलारूस के 72 वर्षीय स्नेसारेव के मृत शरीर को पोस्टमार्टम के लिये सरकारी अस्पताल में भेजा गया है। वह दो साल के अंतराल के बाद सितंबर के अंत तक इस पद के लिये भारत लौटे थे।

एएफआई के अध्यक्ष आदिले सुमरिवाला ने पीटीआई से कहा, ‘‘वह आज हुई इंडियन ग्रां प्री 3 के लिये (बेंगलुरू से) एनआईएस आये थे। लेकिन तब वह प्रतियोगिता के लिये नहीं पहुंचे तो शाम को कोचों ने उनके बारे में पूछा और फिर उनका कमरा अंदर से बंद पाया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब दरवाजा तोड़ा गया तो वह अपने बिस्तर पर पड़े थे। एनआईएस में भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित किया और साइ की टीम ने उनका मृत शरीर पोस्टमार्टम के लिये सरकारी अस्पताल भेज दिया।’’

सुमरिवाला ने कहा, ‘‘हम उनकी मृत्यु का कारण नहीं जानते हैं। पोस्टमार्टम के बाद ही इसका पता चल पायेगा।’’ स्नेसारेव 3000 मीटर स्टीपलचेज एथलीट अविनाश साबले (ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर चुके) और अन्य मध्य एवं लंबी दूरी के धावकों को तोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने की मुहिम के लिये कोचिंग दे रहे थे।

खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने ट्वीट किया, ‘‘मैं मध्य एवं लंबी दूरी की दौड़ के कोच निकोलई स्नेसारेव के निधन से दुखी हूं। वह अच्छे कोच रहे और उन्होंने 2005 के बाद से भारत से जुड़ाव के दौरान कई पदक विजेताओं की मदद की। उनके परिवार और पूरे एथलेटिक्स जगत को मेरी संवेदनायें।’’ साबले के उन्हें छोड़कर सेना के कोच अमरीश कुमार के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग करने का फैसला करने के बाद उन्होंने फरवरी 2019 में भारतीय एथलेटिक्स लंबी एवं मध्य दूरी कोच पद से इस्तीफा दे दिया था।

उनका अनुबंध तब ओलंपिक के अंत तक था, जिसे कोविड-19 महामारी के कारण एक साल के लिये स्थगित कर दिया गया था। सुमरिवाला ने कहा, ‘‘हम स्तब्ध हैं। वह कुछ दिन पहले ही भारत लौटे (दो मार्च को बेंगलुरू और फिर अगले दिन पटियाला पहुंचे) और उन्होंने स्टीपलचेज एथलीट अविनाश साबले को ओलंपिक खेलों के लिये ट्रेनिंग देने पर सहमति दी थी।’’

यह अनुभवी कोच 2005 में पहली बार भारत आया था और 10,000 मीटर की धाविका प्रीजा श्रीधरन और कविता राउत की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने इन दोनों को ग्वांग्झू 2010 एशियाई खेलों में पहला और दूसरा स्थान दिलाने में मदद की। भारतीय महिलाओं ने पहली बार 25 लैप की रेस में पदक जीते थे।

सुधा सिंह भी उनके मार्गदर्शन में ट्रेनिंग कर रही थी जिन्होंने 2010 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। इसी वर्ष बाद में उन्होंने ललिता बाबर को स्टीपलचेज में शिफ्ट होने का सुझाव दिया था और उनके प्रयासों से बाबर पीटी ऊषा (1984 में) के बाद ओलंपिक खेलों की ट्रैक स्पर्धा के एक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय एथलीट बनी थीं। बाबर ने 2016 रियो ओलंपिक की स्टीपलचेज फाइनल में प्रवेश किया था।

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