बर्मिंघम: 22वें राष्ट्रमंडल खेलों में टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया ने कनाडा के पहलवान लाचलन मैक्नेल को मात देकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। पुरुषों के 65 किग्रा भारवर्ग में बजरंग ने कनाडा के पहलवान को 7-2 के अंतर से मात देकर लगातार दूसरी बार राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत लिया। बजरंग ने साल 2018 में गोल्ड कोस्ट में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वो अपना खिताब बचाने में सफल हुए हैं।
पदक तालिका में छठे स्थान पर पहुंचा भारत
भारत का यह बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती में दूसरा पदक है। बजरंग से पहले अंशू मलिक ने फाइनल में हार गईं और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। इन दो पदकों के साथ भारत के पदकों की संख्या 22 हो गई है। जिसमें 7 गोल्ड, 8 रजत और 6 कांस्य पदक शामिल हैं। भारत इसके साथ ही पदक तालिका में छठे पायदान पर पहुंच गया है।
पहले राउंड में हासिल की 4-0 की बढ़त
बजरंग ने एक्टिव टाइम के जरिए मुकाबले में पहला अंक हासिल किया। इसके बाद दो अंक उन्होंने टेक डाउन के जरिए बटोर लिए और 3-0 की बढ़त बना ली। इसके बाद बजरंग ने कनाडा के पहलवान को रिंग से बाहर करके एक अंक और हासिल कर लिया और 4-0 की बढ़त हासिल कर ली। पहले राउंड का अंत इसी बढ़त के साथ हुआ।
ये भी पढ़ें: CWG 2022: अंशू मलिक ने जीता सिल्वर, नाइजीरियाई पहलवान ओडुनायो ने तोड़ा गोल्ड का सपना
7-2 के अंतर से बजरंग ने जीता गोल्ड
दूसरे राउंड में मैक्लेन ने 2 अंक बटोरकर अंतर को कम किया। और स्कोर को 4-2 कर दिया। इसके बाद बजरंग ने दो अंक और बटोरकर 6-2 की बढ़त बना ली। इसके बाद बजरंग ने मैक्नेल को बाउट एरिया से बाहर करके 1 अंक और हासिल कर लिया। अंत में 9-2 की निर्णायक बढ़त के साथ भारत को कुश्ती में पहला और कुल सातवां गोल्ड मेडल दिलाया। साल 2018 में बजरंग ने 65 किग्रा भारवर्ग मे स्वर्ण पदक जीता था।
ऐसा रहा फाइनल तक का सफर
बजरंग पूनिया ने पुरुषों के 65 किलोग्राम फ्री-स्टाइल स्पर्धा के प्री क्वार्टर फाइनल में नाउरू के लोव बिंघम को शिकस्त देकर क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह पक्की की। उन्होंने नाउरू के पहलवान को तीन मिनट के अंदर पस्त करते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में वैसा ही आगाज किया जैसा कि भारतीय खेल प्रेमी उनसे उम्मीद कर रहे थे। इसके बाद क्वार्टर फाइनल में उन्होंन 6-0 से जीत दर्ज करके सेमीफाइनल में जगह बना ली। इसके बाद सेमीफाइनल में बजरंग ने इंग्लैंड के जॉर्ज को 10-0 से मात देकर फाइनल में जगह बनाई। फाइनल तक पहुंचने तक बजरंग ने एक भी अंक नहीं गंवाया था।