लिस्बन: जैसे ही फाइनल व्हिसल बजी, बेयर्न म्यूनिख टीम, स्क्वाड, स्टाफ और छोटी यात्रा करने वाली टीमों को एस्टाडियो डा लुज में आने की अनुमति मिली। सभी जश्न मनाने लगे और मैदान में खुशी के साथ झूमने लगे। मगर एक व्यक्ति इसमें अलग खड़ा रहा। बायर्न म्यूनिख के डेविड अल्बा जश्न में शामिल नहीं हुए। इससे विपरीत वह पेरिस सेंट जर्मेन के स्ट्राइकर नेमार के आंसूओं को पोछने में लग गए। उन्होंने नेमार को अपने से दूर जाने नहीं दिया। वह अपने टीम के साथियों के साथ जश्न मनाने नहीं गए। जब भी दिखे कि नेमार की आंखों से आंसू आने वाले हैं, अल्बा उन्हें अपने पास खींच लेते। अल्बा पीएसजी के नेमार के कान में कुछ फुसफुसा भी रहे थे। शायद मैच हारने पर संवेदना प्रकट करके उन्हें शक्ति देना चाह रहे हो।
इस मुकाबले में किसी की मौत नहीं हुई, बस पेरिस सेंट जर्मेन के खिताब जीतने के सपने और अरमान अगले साल तक के लिए स्थगित हो गए। बायर्न म्यूनिख ने छठी बार यूएफा चैंपियंस लीग का खिताब जीता। बायर्न म्यूनिख ने लिवरपूल की बराबरी की, जिसने भी 6 बार यह खिताब जीता है। सिर्फ एसी मिलान और रियल मैड्रिड ने ज्यादा बार यह खिताब जीते हैं। वहीं पीएसजी की खिताबी खोज जारी रही। नेमार से उम्मीद थी कि वो कुछ कमाल करेंगे। मगर यह पर्याप्त नहीं था। अल्बा ही अपने विरोधी नेमार को रोने से रोक रहे थे। आखिरकार, नेमार के टीम साथियों ने उन्हें संभालना शुरू किया।
यूएफा चैंपियंस लीग के फाइनल मुकाबले में बायर्न म्यूनिख की खिताबी जीत का हीरो किंग्स्ले कोमैन बने, जिन्होंने 59वें मिनट में हेडर के जरिये गोल दागा और यह निर्णायक साबित हुआ। बायर्न म्यूनिख ने चैंपियंस लीग के फाइनल मैच में पेरिस सेंट जर्मेन को 1-0 से मात देकर छठी बार खिताब जीता। कोमैन जब 8 साल के थे तब से फ्रांसीसी क्लब पीएसजी में ट्रेनिंग कर रहे थे। वह इस क्लब के सबसे युवा स्टार थे, जिन्होंने केवल 16 साल 8 महीने और चार दिन की उम्र में डेब्यू किया था। 2014 में कोमैन ने पीएसजी छोड़कर यूवेंटस का साथ अपनाया और फिर बाद में वह बायर्न म्यूनिख आ गए। फिर पीएसजी को अपने किंग्स्ले कोमैन से ही धक्का लगा, जिन्होंने फाइनल में एकमात्र गोल दागा।
इस मुकाबले में रॉबर्ट लेवानडोस्की, कायलिन मबापे, नेमार, एंजेल डी मारिया, थॉमस मुलर, सर्जे गैनाब्री, इवान परिसिच जैसे दिग्गज अपनी छाप नहीं छोड़ सके। दोनों टीमों के बीच रोमांचक मुकाबला हुआ, जहां गेंद को जाली में भेदने के लिए कड़ा संघर्ष देखने को मिला। लेवानडोस्की ने कुछ मौके गंवाए। नेमार ने भी बहुत प्रयास किए, लेकिन अपना जादू बिखेरने में कामयाब नहीं हुए। कोमैन को बस एक मौका मिला। उन्होंने इसे दोनों हाथों से भुनाया और बायर्न म्यूनिख की झोली में इस साल के तीनों खिताब बुंदेसलीगा, जर्मन कप और चैंपियंस लीग डाल दिए। इससे पहले 2012-13 में बेयर्न म्यूनिख ने तीनों खिताब एक साल में जीते थे।