लंदन स्थित वेम्बले स्टेडियम में बुधवार रात डेनमार्क और मेजबान इंग्लैंड के बीच यूरो कप फुटबॉल चैंपियनशिप का दूसरा सेमीफाइनल मैच खेला गया। इस चर्चित मुकाबले के लिए स्टेडियम में दर्शक खचाखच भरे थे जिसमें तकरीबन 8 हजार डेनमार्क के फुटबॉल फैंस भी मौजूद थे, क्योंकि कोविड की वजह से सिर्फ इतने ही दर्शकों को इंग्लैंड के इस मैदान में आने की अनुमति मिली थी। इस मैच में इंग्लैंड ने डेनमार्क को एक्स्ट्रा टाइम में 2-1 से हराकर फाइनल में जगह बनाई। इसके साथ ही इंग्लैंड ने सेमीफाइनल में बार-बार हारने का सूखा खत्म किया और 55 साल बाद किसी मेजर टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई।
साल 1992 में यूरो कप चैंपियन बन चुकी डेनमार्क की टीम ने इस मैच में कुछ खास शुरुआत नहीं की थी। पहले हाफ के शुरुआती 20 मिनटों तक इंग्लैंड का ही दबदबा नजर आ रहा था जिस बीच इंग्लैंड ने कई बार डेनमार्क के हिस्से में आक्रामक फुटबॉल भी खेला लेकिन 30वें मिनट में डेनमार्क को एक फ्री-किक मिली जिसे उन्होंने गोल में तब्दील कर दिया।
बॉक्स के बाहर से डेनमार्क को मिली इस फ्री-किक पर मिकेल डैम्सगार्ड ने बेहतरीन किक जड़ी और इसे गोल में तब्दील करते हुए अपनी टीम को 1-0 की बढ़त दिला दी। जब ऐसा लगने लगा था कि पहले हाफ में डेनमार्क बढ़त के साथ ड्रेसिंग रूम में जाएगी तभी नौ मिनट बाद डेनमार्क के कार्यवाहक कप्तान सिमोन क्येर ने अपने ही गोल में गेंद डाल दी। इस आत्मघाती गोल के जरिए इंग्लैंड को 1-1 की बराबरी हासिल हो गई जो पहले हाफ की सीटी बजने तक जारी रही।
दूसरे हाफ में दोनों टीमों ने खूब प्रयास किए लेकिन दोनों ही टीमों से कोई भी गोल नहीं कर सका। इसके बाद मुकाबला एक्स्ट्रा टाइम में जा पहुंचा जहां 30 मिनट का खेल तय करता कि कौन फाइनल में जाएगा, या फिर बराबरी की स्थिति में पेनाल्टी से फैसला होता। लेकिन इसकी नौबत नहीं आई, क्योंकि एक्स्ट्रा टाइम के पहले हाफ में इंग्लैंड को पेनाल्टी मिली और हैरी केन ने इस पेनल्टी पर गोलकीपर श्माइकल के बेहतरीन सेव के बावजूद रिबाउंड पर गोल करके अपनी टीम को 2-1 की बढ़त दिला दी। अंतिम क्षणों में इंग्लैंड ने गेंद अधिकतम समय अपने पास ही रखी और मैच इंग्लैंड के पक्ष में समाप्त हुआ। अब फाइनल में इंग्लैंड का सामना इटली से होगा जो पहले सेमीफाइनल में स्पेन को हराकर फाइनल में पहुंचा था।