नई दिल्ली: वैश्विक फुटबॉल का संचालन करने वाली संस्था फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की कार्यकारी समिति में खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व को 50 प्रतिशत की जगह 25 प्रतिशत रखने की सिफारिश की है। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने एआईएफएफ के संविधान मसौदे में खिलाड़ियों की भागीदारी को 50 प्रतिशत रखा है। मौजूदा समय में देश में इस खेल का संचालन कर रहे सीओए ने 13 जुलाई को अंतिम मसौदा संविधान फीफा को भेजा था।
इसके जवाब में फीफा ने कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया है जिसमें खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व को आधा करना सबसे अहम है। फीफा ने अपने सुझाव एआईएफएफ के सचिव सुनंदो धर को भेजे हैं। फीफा ने इस पत्र में लिखा, ‘‘हमारे साथ साझा किए गए मसौदा संविधान के अनुसार, मौजूदा 35 सदस्य संघों में से एआईएफएफ कांग्रेस (कार्यकारी समिति) में अतिरिक्त 35 प्रख्यात खिलाड़ी होंगे। हम इस बात से सहमत हैं कि खिलाड़ियों की आवाज सुनी जानी चाहिए, लेकिन हमारा यह भी मानना है कि एआईएफएफ के मौजूदा सदस्यों के महत्व को कम नहीं आंका जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस संरचना में 50 प्रतिशत सदस्यों को लाना, जो वर्तमान सदस्यता संरचना के बराबर है, विवेकपूर्ण विचार नहीं है। एआईएफएफ को भविष्य में और अधिक विविधता अपनाने के बारे में सोचना चाहिये।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम हालांकि भारतीय खेल संहिता की जरूरतों को समझते हैं और एआईएफएफ की कार्यकारी समिति में 25 प्रतिशत खिलाड़ियों को रखने का सुझाव देते हैं।’’ मसौदा में राज्य संघ के पदाधिकारी को एआईएफएफ कार्यकारी में आने के बाद राज्य संघ में जिम्मेदारी से मुक्त करने का सुझाव है लेकिन फीफा ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘‘ ऐसी स्थिति में अगर सदस्य एआईएफएफ में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया तो राज्य संघ के लिए चुनाव लड़ने में उसे परेशानी होगी।
संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 25.5 के अनुसार, ‘‘ अगर अध्यक्ष को स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से अपने आधिकारिक कार्य करने से रोका जाता है, तो कार्यकारी समिति अगली एजीएम (वार्षिक आम सभा बैठक) या एसजीएम में उसका प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति का फैसला करेगी।’’ फीफा ने कहा, ‘‘यह एआईएफएफ कांग्रेस द्वारा निर्वाचित अधिकारियों के महत्व को कम करेगा। ’’ उन्होंने ऐसी स्थिति से निपटने के लिए एक या अधिक उपाध्यक्ष रखने की सिफारिश की है।