मोनाको: कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरी दुनिया जूझ रही है, जबकि रूस के खेल जगत में अब भी उनको वही पुराना डंक परेशान कर रहा है। डोपिंग। उनके कुछ खिलाड़ियों पर गाज गिरी है। रूस के ट्रैक एवं फील्ड के चार एथलीटों पर प्रतिबंधित दवाईयों के सेवन के आरोप लगे हैं। हैरानी की बात ये है कि इनमें दो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी भी शामिल हैं।
बीजिंग ओलंपिक 2008 में ऊंची कूद के चैंपियन आंद्रेई सिलनोव और लंदन ओलंपिक 2012 की 400 मीटर बाधा दौड़ की चैंपियन नतालिया अंतियुख पर प्रतिबंधित दवाईयां लेने या प्रतिबंधित तरीकों का उपयोग करने का आरोप लगा है। एथलेटिक्स इंटीग्रिटी यूनिट (एआईयू) ने कहा कि ये मामले विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के लिये रूसी डोपिंग की जांच पर आधारित हैं। इसे 2016 में कनाडा के वकील रिचर्ड मैकलारेन ने पेश किया था।
सिलनोव पिछले साल जून तक रूसी ट्रैक महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे। अन्य दो एथलीटों में विश्व इंडोर चैंपियनशिप 2006 में 1500 मीटर में रजत पदक जीतने वाली येलेना सोबोलेवा और हैमर थ्रो की एथलीट ओकसाना कोंद्रातयेवा शामिल हैं।
रूस ने रोके डोपिंग परीक्षण
उधर, रूसी डोपिंगरोधी एजेंसी (आरयूएसएडीए) ने कोरोना वायरस को रोकने के लिये सरकारी उपायों को ध्यान में रखते हुए दस दिन तक सभी परीक्षणों पर रोक लगा दी है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने आवश्यक क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को छोड़कर अपने देशवासियों से अगले सप्ताह घर में रहने के लिये कहा है जिसके बाद एजेंसी ने यह कदम उठाया।
आरयूएसएडीए की उप सीईओ मार्गारिटा पानोत्सकाया ने एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि उन्होंने अपने कर्मचारियों के अधिक समय तक घर से बाहर रहने के जोखिम को देखते हुए एक सप्ताह से अधिक समय तक परीक्षण रोकने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि छह अप्रैल से परीक्षण फिर से शुरू कर दिये जाएंगे।
मंगलवार तक की बात करें तो रूस में तकरीबन 500 कोरोना वायरस के पॉजीटिव केस सामने आए थे। हालांकि कुछ डॉक्टरों ने चेताया है कि रूस में कोरोना वायरस का संक्रमण दर जो दिखाया गया है, असल में ये उससे कहीं ज्यादा होने के आसार हैं।