नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के दुनिया के अधिकतर देश इस समय लॉकडाउन से गुजर रहे हैं। आम आदमी हो या कोई खास, सबको अपने घरों में बंद रहने पर मजबूर होना पड़ा है। संक्रमण ना फैले इसके लिए ये फैसला बेहद जरूरी भी था। भारत की 20 वर्षीय स्टार एथलीट हिमा दास भी लॉकडाउन के दौरान एनआईएस-पटियाला के अपने कमरे में दो महीना बंद रहीं। हिमा ने ट्विटर पर फैंस के सवालों के जवाब देते हुए बताया कि उन्होंने इस दौरान क्या कुछ किया। इसके अलावा उन्होंने कई और दिलचस्प बातें बताईं।
कमरे में बंद रहकर भी काफी कुछ सीखा
हिमा दास ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण वो अपने कमरे में ही दो महीने बंद रहीं लेकिन इस दौरान उन्होंने योग करने के अलावा कुकिंग सीखी और अपने पेंटिंग कौशल में भी सुधार किया। गौरतलब है कि राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) के शिविर में हिस्सा ले रहे ट्रैक एवं फील्ड के सभी खिलाड़ियों को मार्च के मध्य से कमरे के अंदर रहने को बाध्य होना पड़ा। खिलाड़ियों को सोमवार से आउटडोर ट्रेनिंग की स्वीकृति दी गई जिसमें शुरुआत में सिर्फ फिटनेस पर ध्यान दिया जाएगा।
नई चीज सीखी- खाना बनाना
हिमा दास ने ट्वीट में लिखा, ‘लॉकडाउन के दौरान काफी चीजें सीखी और अपनी पाक कला तथा पेंटिंग कौशल में सुधार किया। काफी योग किया। ये वैश्विक लॉकडाउन है और ये हमारी सुरक्षा के लिए किया गया है।’ ये पूछने पर कि क्या लॉकडाउन के दौरान उन्होंने कुछ नया सीखा, हिमा ने कहा, ‘खाना बनाना।’ उन्होंने कहा, ‘मैं रोजना योग करती हूं, इंडोर फिटनेस और ध्यान करती हूं।’
हिमा दास ने बताया कि वो आम तौर पर दिन में छह घंटे ट्रेनिंग करती हैं। ये पूछने पर कि उन्हें पुरानी लय और गति हासिल करने में कितना समय लगेगा, हिमा ने कहा, ‘हम लगभग दो महीने से स्पर्धाओं से दूर हैं इसलिए मुझे यकीन है कि इसमें समय लगेगा और साथ ही यह इस पर भी निर्भर करता है कि हमारे कोच ट्रेनिंग को लेकर क्या योजना बनाते हैं।’ हिमा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने सभी खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए तोक्यो ओलंपिक खेलों को अगले साल तक स्थगित करने का फैसला किया।
कौन है आदर्श?
एक फैन ने अपने सवाल में पूछा कि आखिर हिमा दास किसको अपना आदर्श मानती हैं। इस पर हिमा दास ने भारत के महान पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का नाम लिया और कहा कि वो उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा है।
क्या है सपना?
हिमा दास ने जिंदगी में काफी संघर्ष के बाद एक छोटे सी जगह से निकलकर पूरी दुनिया में नाम कमाया है। अब उनका सबसे बड़ा सपना है ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना।
एथलीट बनने का फैसला कब लिया, पहले थीं फुटबॉलर
इस दौरान एक फैन ने हिमा से पूछा कि उनको कब एथलेटिक्स में करियर बनाने का अहसास हुआ और छोटे शहरों व गांवों से आने वाले बच्चों को उनका क्या संदेश होगा जो खेल को अपना करियर बनाना चाहते हैं। इस पर हिमा ने कहा, 'शुरुआत से मेरा लक्ष्य भारत की जर्सी पहनना था। मैंने शुरुआत तो फुटबॉल के साथ की थी लेकिन फिर मेरे कोच नबजीत सर ने एथलेटिक्स में मेरा करियर बनाने में मदद की।'