भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक काफी यादगार रहा था। भारत ने जापान की राजाधानी में आयोजित हुए खेलों के महाकुंभ में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया। देश ने एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदकों पर कब्जा जमाया था। ओलंपिक खेलों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब भारत की मेडल संख्या सात तक पहुंची। इससे पहले भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 6 मेडल था, जो उसने 2012 के लंदन ओलंपिक में किया। हालांकि, भारत तब गोल्ड अपने नाम नहीं कर सका था। टोक्यो से पहले भारत ने स्वर्ण पदक 2008 के बीजिंग ओलंपिक में जीता था, जिसे निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने दिलाया।
इन सात मेडल्स से देश में आई थी खुशी की लहर
मीराबाई चानू
टोक्यो ओलंपिक में वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने भारत को पहला मेडल दिलाया था। उन्होंने महिलाओं के 49 किग्रा वर्ग में रजत जीता। 2000 के सिडनी ओलंपिक के बाद वेटलिफ्टिंग में यह भारत का दूसरा पदक है।
पीवी सिंधू
पीवी सिंधू ने महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। वह ओलंपिक में लगातार दो बार मेडल हासिल करने वाली पहली बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। उन्होंने रियो में सिल्वर पर कब्जा किया था।
लवलीना बोरगोहेन
लवलीना बोरगोहेन ने बॉक्सिंग में कांस्य पदक अपने नाम किया था। लवलीना विजेंदर सिंह (2008) और मैरी कॉम (2012) के बाद ओलंपिक मेडल जीतने वाली तीसरी भारतीय बॉक्सर हैं।
रवि दहिया
रवि दहिया को कुश्ती में पुरुषों के 57 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में शिकस्त झेलनी पड़ी थी, जिसके बाद उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। यह भारत का चौथा पदक था।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में निराशाजनक हार के बाद ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था। भारत ने जर्मनी को मात देकर ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। भारत ने 41 साल बाद ओलंपिक में हॉकी का पदक अपने नाम किया था।
बजरंग पुनिया
पहलवान बजरंग पुनिया ने कुश्ती में 65 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता था। बजरंग ने कजाकिस्तान के दौलत नियाबेकोव को हराकर पदक पर कब्जा किया था।
नीरज चोपड़ा
टोक्यो ओलंपिक में भारत को सातवां और आखिरी मेडल भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने दिलाया था। उन्होंने 87.58 मीटर की दूरी के साथ हासिल किया था। उन्होंने गोल्ड जीत ने के साथ ही बड़ा इतिहास रच डाला था। वह भारत के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले पहले ट्रैक एंड फील्ड एथलीट हैं।