खेल जगत के सबसे बड़े आयोजन 'ओलंपिक' का आयोजन पिछले साल जापान की राजधानी टोक्यो में होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते दबाव बढ़ने के बाद इन खेलों को एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया। अब इस साल ओलंपिक का आयोजन होना है लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर ने दुनिया को फिर से अपनी चपेट में ले लिया है। ऐसे में खेल प्रेमियों में मन में शंकाएं थीं। हालांकि बुधवार को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने ये साफ कर दिया कि ओलंपिक अब नहीं टाले जाएंगे और ये तय समय के मुताबिक ही होंगे।
आईओसी के प्रवक्ता ने अपने ताजा बयान में कहा, "हम आत्मविश्वास से भरे हुए हैं और हमारा पूरा ध्यान ओलंपिक खेलों पर टिका हुआ है। अब ये आयोजित कराने के चरण में है। फिलहाल स्थिति ये है कि हम आगे बढ़ रहे हैं। टोक्यो में छोटा आपातकाल लगा हुआ है लेकिन हमने ओलंपिक खेलों को पूरी तरह आयोजित करने की रणनीति बनाई है। ओलंपिक कराए जाएंगे और अच्छी तरह आयोजित होंगे।"
टोक्यो ओलंपिक का कार्यक्रम
जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक का आयोजन पहले 24 जुलाई 2020 से 9 अगस्त 2020 के बीच होना था। लेकिन इसको एक साल के लिए स्थगित किया गया और अब इसका आयोजन 23 जुलाई 2021 से 8 अगस्त 2021 के बीच निर्धारित किया गया है।
नहीं बदलेगा नाम
बेशक इन खेलों को एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया लेकिन इसका नाम ना बदलने का फैसला लिया गया है। यानी ये अब भी टोक्यो ओलंपिक 2020 ही कहलाया जाएगा। ऐसा ओलंपिक के इतिहास में पहली बार हुआ है कि इसका आयोजन स्थगित किया गया और इसके कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। खेलों के इस महाआयोजन में तकरीबन 205 देशों के 11,091 एथलीट हिस्सा लेने वाले हैं। ये खिलाड़ी 33 खेलों के 339 इवेंट्स में अपना दम दिखाएंगे।
जापान के लोग हैं नाराज और निराश
जापान के समाचार पत्र में पूरे पन्ने के विज्ञापन में कहा गया है कि देश के लोग ‘राजनीति से मारे जाएंगे’ क्योंकि सरकार उन्हें टीके के बिना महामारी का सामना करने के लिए बाध्य कर रही है। तीन लाख से अधिक लोगों ने याचिका पर हस्ताक्षर करके तोक्यो ओलंपिक को रद्द करने की मांग की है। एक स्टार तैयार पर खेलों से हटने का दबाव है।
अस्पतालों की स्थिति को लेकर जापान परेशान
प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने इस बीच उलझन का सामना कर रहे सांसदों को यह कहकर नाराजगी और भ्रम पैदा कर दिया है कि ओलंपिक सुरक्षित होंगे जबकि कुछ अस्पताल बीमार और मरते हुए लोगों के लिए जगह का इंतजाम करने में नाकाम हो रहे हैं और बुधवार को जापान में और अधिक जगहों पर आपात स्थिति लगा दी गई।
सिर्फ एक प्रतिशत जनसंख्या का टीकाकरण
जापान की सिर्फ एक प्रतिशत जनता का टीकाकरण हो पाया है जबकि टीके की लाखों डोज फ्रीजर में रखी हुई हैं। सुगा के इस आग्रह से लोगों की हताशा बढ़ रही है कि वायरस से जुड़े और आपात नियमों को अपनाएं जबकि लगभग दो महीने में शुरू होने वाले ओलंपिक के लिए संसाधन झोंके जा रहे हैं। इस आलोचनात्मक विज्ञापन में कहा गया, ‘‘टीका नहीं। दवाई नहीं। क्या हमें बांस के भालों से लड़ना है? चीजें नहीं बदली तो हम राजनीति के कारण मर जाएंगे।’’ इस विज्ञापन में द्वितीय विश्व युद्ध के समय की जापान के बच्चों की तलवार के आकार की लकड़ी ‘नेगिनाटा’ के साथ अभ्यास करती हुई तस्वीर पर लाल कोरोना वायरस की छवि बनी है।