पार्लेमो: गत यूरोपियन चैंपियन इटली को नॉर्थ मेसेडोनिया के हाथों नाटकीय दौर से गुजरे मैच में 0-1 की शिकस्त झेलनी पड़ी। इसी के साथ इटली लगातार दूसरी बार विश्व कप में क्वालीफाई नहीं कर सकी। पार्लेमो में खेले गए मुकाबले में नॉर्थ मेसेडोनिया ने अंतिम मिनट में गोल दागकर इटली के विश्व कप में क्वालीफाई करने के अरमानों पर पानी फेर दिया। इटली दुनिया का दूसरा देश बना, जिसने यूरोपियन चैंपियनशिप का खिताब जीता और 21वीं शताब्दी में विश्व कप नहीं खेल रहा है।
इटली ग्रुप सी में दूसरे स्थान पर था और उसे प्लेऑफ में जोर देकर नॉर्थ मेसेडोनिया के खिलाफ खेलना पड़ा। वहीं नॉर्थ मेसेडोनिया के एलेंडर त्राकोव्स्की ने स्टोपेज टाइम में गोल दागकर इटली की उम्मीदें तोड़ दी। इटली से पहले ग्रीस (2004) और डेनमार्क (1992) ऐसे देश रहे हैं, जिन्होंने यूरोपियन चैंपियनशिप जीती, लेकिन विश्व कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए थे।
2004 में ग्रीस ने लिस्बन में पुर्तगाल को फाइनल में 1-0 से हराकर यूरोप को हैरान कर दिया था। मगर 2006 फीफा विश्व कप, जर्मनी के लिए वो क्वालीफाई नहीं कर सकी थी। क्वालीफायर्स में टीम ग्रुप 2 में चौथे स्थान पर थी और ग्रुप चरण से ही वो बाहर हो गए। वहीं डेनमार्क ने 1992 यूरोपिय चैंपियनशिप्स के फाइनल में जर्मनी को 2-0 से मात दी थी। मगर फिर विश्व कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थी। वह ग्रुप 3 में तीसरे स्थान पर थी। स्पेन ग्रुप में शीर्ष पर थी और उसे स्वंय क्वालीफिकेशन मिल गई।
इटली की टीम लगातार दूसरे विश्व कप में नहीं खेलेगी। इससे पहले 2018 टूर्नामेंट के लिए वो क्वालीफाई नहीं कर सकी थी क्योंकि प्लेऑफ में तब उसे स्वीडन से शिकस्त मिली थी। यह इटली के लिए किसी भयानक अनुभव से कम नहीं है, जो कि 1958 से हर बार विश्व कप में खेलते हुए नजर आ रहा है। यह झटका और भी खतरनाक इसलिए है क्योंकि 9 महीने पहले ही यूरोपियन चैंपियनशिप जीती थी। रॉबर्टो मानसिनी की टीम के लगातार 37 मैचों में अपराजेय रिकॉर्ड पर भी ब्रेक लग गया। पिछले पांच क्वालीफायर्स में से इटली ने चार ड्रॉ खेले, जिसके बाद उनके प्रदर्शन पर सवाल खड़े होने लगे थे।