टोक्यो: भारतीय एथलीटों का टोक्यो पैरालंपिक में मेडल जीतना जारी है। मरियप्पन थंगावेलु और शरद कुमार ने पुरुष ऊंची कूद टी42 स्पर्धा में भारत को दो पदक दिलाए हैं। मरियप्पन ने जहां 1.86 मीटर के प्रयास के साथ सिल्वर जीता वहीं शरद ने 1.83 मीटर के प्रयास के साथ ब्रॉन्ज पर कब्जा जमाया। वहीं, अमेरिका के सैम ग्रेव ने गोल्ड अपनी झोली में डाला। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 1.88 मीटर की जम्प लगाई।
सातवें स्थान पर रहे वरूण सिंह भाटी
स्पर्धा में हिस्सा ले रहे तीसरे भारत और रियो 2016 पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता वरूण सिंह भाटी नौ प्रतिभागियों में सातवें स्थान पर रहे। वह 1.77 मीटर की कूद लगाने में नाकाम रहे। टी42 वर्ग में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है जिनके पैर में समस्या है, पैर की लंबाई में अंतर है, मांसपेशियों की ताकत और पैर की मूवमेंट में समस्या है। इस वर्ग में खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा पेश करते हैं।
10वां मेडल हासिल करते ही रचा इतिहास
मरियप्पन और शरद के अलावा मंगलवार को निशानेबाज सिंहराज अडाना ने पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल एसएफ1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। बता दें कि मौजूदा पैरालंपिक में भारत के मेडल की संख्या 10 हो गई है। यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत ने अब तक दो गोल्ड, पांच सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल अपने अपने नाम किए हैं। इससे पहले भारत का किसी पैरालंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन चार मेडल का था, जो उसने 2016 में रियो में जीते थे।
भारत ने पहली बार 1968 में लिया हिस्सा
पैरालंपिक की शुरुआत 1960 में हो गई थी मगर भारत ने इन खेलों में 1968 में हिस्सा लिया था जिसका आयोजन तेल अवीव में हुआ था। भारत ने पिछले 53 सालों में पैरालंपिक में 12 मेडल जीते, जिसमें चार स्वर्ण, चार रजत और इतने की कांस्य पदक शामिल हैं। लेकिन इस बार भारत ने टोक्यो पैरालंपिक में एकसाथ 10 मेडल जीतकर कमाल ही कर दिया। भारत के लिए पहला पैरालंपिक मेडल मुरलीकांत पेटकर ने 1972 में हीडलबर्ग में हुए खेलों में जीता था। यह गोल्ड था। पेटकर भारत के पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता हैं।