नई दिल्ली: छह बार की वर्ल्ड मुक्केबाजी चैंपियन एमसी मेरीकॉम ने पूर्व जूनियर विश्व चैम्पियन निकहत जरीन को हराकर ओलंपिक क्वालीफायर के लिए भारतीय टीम में जगह बना ली है। ओलंपिक क्वालीफायर अगले साल फरवरी में चीन में आयोजित किये जायेंगे। मेरीकॉम ने शनिवार को ट्रायल्स के फाइनल में महिलाओं के 51 किलोग्राम भारवर्ग में निकहत जरी को 9-1 से करारी शिकस्त दी। इस मुकाबले में मेरीकॉम ने बहुत दमदार मुक्के जमाकर स्पष्ट अंक हासिल किए। ट्रायल्स इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित की गई। 51 किलोग्राम भारवर्ग में दो दिन तक चली ट्रायल्स में चार मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया था। निकहत ने शुक्रवार को ज्योति गुलिया को 10-0 और मैरी कॉम ने रितू ग्रेवाल को 10-0 से मात दे एक दूसरे से भिड़ंत तय की थी।
मेरीकॉम ने मुकाबले के बाद कहा, 'मैं थोड़ी नाराज थी। इसमें कोई शक नहीं। लेकिन अब सबकुछ हो गया। मैं आगे बढ़ गई। मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि बोलने से पहले प्रदर्शन करो, इससे पहले नहीं। आप रिंग में जो करते हो, उसे हर कोई देख सकता है।' मेरीकॉम ने मुकाबले के बाद जरीन के गले लगाने की कोशिश का कोई प्रतिक्रिया नहीं की। इसके बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, 'हमारे खेल में इसे पकड़ना बोला जाता है। जरीन ने कहा, 'उन्होंने जैसा बर्ताव किया, उससे मैं आहत हूं। उन्होंने रिंग के अंदर भी कुछ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, लेकिन ठीक है।'
गौरतलब है कि ओलंपिक क्वालीफायर के लिये चयन नीति पर भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के ढुलमुल रवैये के बाद जरीन ने कुछ हफ्ते पहले मेरीकाम के खिलाफ ट्रायल की मांग कर हंगामा खड़ा कर दिया था। इसके बाद मेरीकॉम ने कहा था कि वह बीएफआई की नीति का पालन करेंगी जिसने अंत में ट्रायल्स कराने का फैसला किया।बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह ने एक सम्मान समारोह में घोषणा कर हलचल मचा दी थी कि मेरीकाम को उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छे प्रदर्शन के कारण बिना किसी ट्रायल के ओलंपिक क्वालीफायर के लिये चुना जायेगा। इससे नाराज जरीन ने उचित मौका दिये जाने की मांग की थी।
वहीं, अन्य नतीजों में दो बार की विश्व रजत पदक विजेता सोनिया लाठेर (57 किग्रा) को साक्षी चौधरी ने मात दी। एशियाई पदकधारी लाठेर चौधरी के तेज तर्रार आक्रमण के सामने नहीं टिक सकीं। वहीं, 60 किग्रा वर्ग में पूर्व विश्व चैंपियन एल सरिता देवी राष्ट्रीय चैंपियन सिमरनजीत कौर से पराजित हो गईं। इस मुकाबले में भी चपलता अहम रही जिससे सिमरनजीत ने सरिता को तेज मुक्कों से पस्त किया।