नई दिल्ली: महामारी के बाद खेल की दुनिया ने लंबे ब्रेक के बाद दोबारा अपने पैर पसारे। टोक्यो ओलंपिक्स और पैरालंपिक गेम्स 2020 ने खेल की प्रतियोगिता का शानदार आयोजन किया। हर स्तर पर भारतीय एथलीट्स बढ़े। महिलाओं ने पहले से ज्यादा दमदार प्रदर्शन करके देश के लिए खिताब जीते। आज हम आपको ऐसी पांच महिला खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी उपलब्धि दुनियाभर की सुर्खियां बनी। इनकी ऐतिहासिक सफलता ने महिला खिलाड़ियों का स्तर भारतीय जनता की नजरों में बढ़ाया और अन्य लोगों को खेल अपनाने के लिए प्रेरित किया।
1) साईखोम मीराबाई चानू - मणिपुर की 27 साल की मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। मीराबाई चानू ने भारोत्तोलक स्पर्धा में महिलाओं के 49 किग्रा वर्ग में कुल 202 किग्रा वजन उठाते हुए मेडल जीता। इससे पहले मीराबाई चानू ने 2014 में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किग्रा वर्ग में दो गोल्ड मेडल जीते थे। 2017 में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप जीती। 2018 में भारतीय सरकार ने चानू को पद्म श्री और खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। मीराबाई चानू पर मेडल जीतने के बाद धनवर्षा हुई। इसके अलावा उन्हें सरकारी नौकरी में प्रमोशन भी मिला।
2) लवलीना बोर्गोहेन - टोक्यो ओलंपिक्स 2020 में असम की 24 साल की मुक्केबाज लवलीना बोर्गोहेन ने महिलाओं के 69 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। लवलीना बोर्गोहेन ओलंपिक्स में मेडल जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज बनी। उनसे पहले एमसी मैरीकॉम और विजेंदर सिंह ने मेडल जीते थे। इससे पहले 2017 एशियाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में बोर्गोहेन ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 2020 में बॉक्सिंग में शानदार उपलब्धि के लिए भारतीय सरकार ने लवलीना बोर्गोहेन को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था।
3) अवनी लेखरा - उत्तरी राजस्थान की 19 साल की लॉ स्टूडेंट ने टोक्यो पैरालंपिक्स में इतिहास रच दिया। अवनी लेखरा पैरालंपिक गेम्स में कई मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गईं हैं। अवनी ने महिलाओं की 50 मीटर एयर राइफल 3 पोजीशन एसएच1 इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल एसएच 1 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता। अवनी लेखरा ने पहली बार पैरालंपिक गेम्स में हिस्सा लिया था। अवनी लेखरा पैरालंपिक्स में गोल्ड जीतने वाली देश की पहली महिला एथलीट बनी। वह पहली महिला एथलीट हैं, जिन्होंने देश को शूटिंग में पहला पैरालंपिक मेडल दिलाया।
4) भावीनाबेन पटेल - गुजरात की भावीना पटेल ने टोक्यो पैरालंपिक्स में ऐतिहासिक सिल्वर मेडल जीता। भारत के लिए भावीना ने टेबल टेनिस स्पर्धा में पहला पदक जीता। उन्होंने महिलाओं के सिंगल्स क्लास 3 टेबल टेनिस स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता। यह पैरालंपिक्स में भारत का 13वां मेडल था। अपने डेब्यू पैरा गेम्स से पहले भावीना पटेल ने लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया है। 2016 में वह पैरालंपिक चैंपियन रही हैं। भावीना को उम्मीद है कि उनकी जीत लोगों का नजरिया दिव्यांगता के प्रति बदलने में मददगार साबित होगी।
5) भवानी देवी - भवानी देवी भारत की पहली फेंसर बनी, जिन्होंने ओलंपिक्स में देश का प्रतिनिधित्व किया। टोक्यो ओलंपिक्स में भवानी देवी बेशक पोडियम पर पहुंच नहीं सकी, लेकिन उन्होंने कई युवा लड़कियों को इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। भवानी देवी को भरोसा है कि आगे चलकर वह ओलंपिक्स में मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाएंगी। भवानी देवी को उल्लेखनीय योगदान देने के लिए भारतीय सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।