टोक्यो: स्टार पैरा-एथलीट और दो बार के स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया पैरालंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में सोमवार को रजत पदक जीता जबकि चक्का फेंक के एथलीट योगेश कथूनिया ने भी दूसरा स्थान हासिल किया जिससे भारत ने इन खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकार्ड को पीछे छोड़ा।
सुंदर सिंह गुर्जर ने भी कांस्य पदक जीता। वह पुरुषों के भाला फेंक के एफ46 स्पर्धा में झाझरिया के बाद तीसरे स्थान पर रहे। एफ-46 में एथलीटों के हाथों में विकार और मांसपेशियों में कमजोरी होती है। इसमें खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं। एथेंस (2004) और रियो (2016) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ-46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ा।
श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने हालांकि 67.79 मीटर भाला फेंककर भारतीय एथलीट का स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी करने का सपना पूरा नहीं होने दिया। श्रीलंकाई एथलीट ने अपने इस प्रयास से झाझरिया का पिछला विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ा। झाझरिया जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ते समय दुर्घटनावश बिजली की तार छू जाने से उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था। उनके नाम पर पहले 63.97 मीटर के साथ विश्व रिकार्ड दर्ज था।
गुर्जर ने 64.01 मीटर भाला फेंका जो उनका इस सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इस 25 वर्षीय एथलीट ने 2015 में एक दुर्घटना में अपना बायां हाथ गंवा दिया था। जयपुर के रहने वाले गुर्जर ने 2017 और 2019 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने जकार्ता पैरा एशियाई खेल 2018 में रजत पदक जीता था।
भारत के एक अन्य एथलीट अजीत सिंह 56.15 मीटर भाला फेंककर नौ खिलाड़ियों के बीच आठवें स्थान पर रहे। इससे पहले कथूनिया ने पुरुषों के चक्का फेंक के एफ56 स्पर्धा में रजत पदक जीता था। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से बी कॉम करने वाले 24 वर्षीय कथूनिया ने अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर रजत पदक जीता।
भारत ने 2016 पैरालंपिक खेलों में चार पदक जीते थे लेकिन तोक्यो पैरालंपिक में वह अभी तक सात पदक जीत चुका है। रविवार को महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल और ऊंची कूद के एथलीट निषाद कुमार ने रजत पदक जीते लेकिन विनोद कुमार का चक्का फेंक की एफ52 स्पर्धा में कांस्य पदक उनके क्लासीफिकेशन को लेकर विरोध दर्ज होने के कारण रोक दिया गया। सोमवार को अवनि लेखरा ने निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीता।
आठ साल की उम्र में लकवाग्रस्त होने वाले कथूनिया शुरू में पहले स्थान पर चल रहे थे लेकिन ब्राजील के मौजूदा चैंपियन बतिस्ता डोस सांतोस 45.59 मीटर के साथ स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे। क्यूबा के लियानार्डो डियाज अलडाना (43.36 मीटर) ने कांस्य पदक जीता।
विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता कथूनिया ने तोक्यो में अपनी स्पर्धा की शुरुआत की। उनका पहला, तीसरा और चौथा प्रयास विफल रहा जबकि दूसरे और पांचवें प्रयास में उन्होंने क्रमश: 42.84 और 43.55 मीटर चक्का फेंका था। कथूनिया ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2019 में 42.51 मीटर चक्का फेंककर पैरालंपिक के लिये क्वालीफाई किया था।
जब वह किरोड़ीमल कॉलेज में थे तब कई प्रशिक्षकों ने उनकी प्रतिभा पहचानी। इसके बाद जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में सत्यपाल सिंह ने उनके कौशल को निखारा। बाद में उन्हें कोच नवल सिंह ने कोचिंग दी। कथूनिया ने 2018 में बर्लिन में पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री के रूप में पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और विश्व रिकॉर्ड बनाया था।