बर्मिंघम: भारत के 23 वर्षीय युवा एथलीट मुरली श्रीशंकर ने गुरुवार को पुरुषों की लंबी कूद स्पर्धा में 8.08 मीटर लंबी छलांग लगातर सिल्वर मेडल अपने नाम किया। वो राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में भारत के लिए लंबी कूद स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले पुरुष खिलाड़ी हैं। गुरुवार को उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में 8.08 मीटर लंबी छलांग लगाई।
रगों में बहता है खेल, परिवार में सभी का है खेलों से नाता
मूल रूप से केरल के रहने वाले मुरली श्रीशंकर का जन्म 27 मार्च 1999 को पल्लकड में हुआ था। उनके परिवार में खेलों से जुड़ा हुआ है। उनके खून में खेल बहता है। पिता और मां दोनों पूर्व एथलीट हैं। पिता भारत के लिए दक्षिण एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीत चुके हैं। उन्होंने ही मुरली को प्रशिक्षण दिया है और वही उनके कोच भी हैं। मुरली की मां ने साल 1992 में एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 800 मीटर दौड़ में रजत पदक जीता था। उनकी बहन श्रीपारवती भी हैप्थेलॉन की खिलाड़ी हैं।
4 साल में शुरू हुआ एथलेटिक्स का सफर
जब मुरली चार साल के थे तब वो अपने पिता के साथ प्रैक्टिस में जाते थे। उनके पिता ने उन्हें अंदर एक तेज धावक बनने के लक्षण दिखे। इसके बाद उन्हें इसके लिए प्रशिक्षण मिलना शुरू हो गया। अंडर-10 चैंपियनशिप में वो 50 मीटर और 100 मीटर स्पर्धा के स्टेट चैंपियन बन गए थे। लेकिन 13 साल की उम्र में उन्होंने दौड़ की जगह ट्रिपल जंप में करियर बनाने का फैसला किया।
गेम से बना रहे हैं नेम
मुरली श्रीशंकर हाल ही में अमेरिका में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय एथलीट बने थे। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में मुरली 7.96 मीटर दूरी तक ही छलांग लगा सके थे। टोक्यो ओलंपिक का मुरली ने पटियाला में आयोजित इवेंट में 8.26 मीटर लंबी छलांग लगाकर टिकट हासिल किया था। लेकिन इस प्रदर्शन को वो ओलंपिक में दोहरा पाने में असफल रहे थे और 7.69 मीटर की छलांग लगातर फाइनल में जगह बना पाने से चूक गए थे। मुरली के नाम लंबी कूद का राष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज है। इसी साल उन्होंने 8.36 मीटर की दूरी लांघकर अपने नाम यह रिकॉर्ड किया था।