जिस देश में दो साल पहले कोरोना वायरस का प्रकोप सामने आया था, उसने शुक्रवार को यहां लॉक-डाउन के साये में शीतकालीन ओलंपिक खेलों की शुरुआत की। कई देशों ने इन खेलों का राजनयिक बहिष्कार किया है लेकिन चीन गर्व से वैश्विक स्तर पर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक उसी राष्ट्रीय स्टेडियम (बर्ड नेस्ट) में उद्घाटन समारोह के लिये पहुंचे जहां 2008 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक का उद्घाटन हुआ था। उद्घाटन समारोह के साथ ही बीजिंग शीतकालीन और ग्रीष्म दोनों खेलों की मेजबानी करने वाला दुनिया पहला शहर बन गया।
महामारी के दौर में तोक्यो (ग्रीष्मकालीन ओलंपिक) के बाद पिछले छह महीने में यह दूसरा ओलंपिक है। अमेरिका और यूरोप के कई देशों के विरोध के बाद भी उद्घाटन समारोह में कई वैश्विक नेताओं ने भाग लिया। इसमें सबसे उल्लेखनीय नाम रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का है। यूक्रेन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच पुतिन ने समारोह से पहले दिन में शी के साथ निजी तौर पर मुलाकात की।
भारत ने गुरुवार को घोषणा की कि बीजिंग में भारतीय दूतावास के मामलों के प्रमुख 2022 शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि चीन ने गलवान घाटी झड़प में शामिल सैन्य कमांडर को इस प्रतिष्ठित खेल प्रतियोगिता का मशाल धारक बनाकर सम्मानित किया है। इन राजनीतिक मुद्दों के साये में चीन ने अपनी सांस्कृतिक झलक का प्रदर्शन किया। आधिकारिक समारोह से पहले, नर्तकियों ने विभिन्न प्रकार के रंगीन सफेद स्नोसूट में मनोरंजन किया। इस दौरान लोगों ने खेलों के शुभंकर बिंग ड्वेन ड्वेन (पांडा) के साथ मस्ती की।
अधिकारियों ने चुनिंदा लोगों के समूह को कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति दी जिसके बाद स्टेडियम अपेक्षाकृत भरा हुआ था। इस दौरान दर्शक अपने फोन को रोशनी से समारोह में प्रस्तुति देने वालों की हौसला अफजाई कर रहे थे। इन खेलों के मुख्य मशाल के प्रज्वलित होने के बाद हालांकि इस बात की उम्मीद होगी कि भू-राजनीतिक मुद्दों को पीछे छोड़कर सब का ध्यान एथलीटों के प्रदर्शन पर रहेगा।