B'day Special: भारतीय बैडमिंटन की 'गोल्डन गर्ल' पीवी सिंधू के अब तक अधूरे हैं ये दो सपने 

PV Sindhu celebrating her 25th birthday: ओलंपिक में रजत और विश्व चैंपियन बन चुकीं पीवी सिंधू के बैडमिंटन करियर में ये दो ख्वाब अधूरे हैं। जिन्हें वो आने वाले सालों में पूरा करना चाहेंगी।

PV Sindhu
PV Sindhu 
मुख्य बातें
  • 21 साल की उम्र में जीता था ओलंपिक में रजत पदक
  • 24 साल की उम्र में सिंधू बनीं विश्व चैंपियन
  • ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा ये है उनका सपना

हैदराबाद: पीवी सिंधू आज 25 साल की हो गईं। इस छोटी से उम्र में उन्होंने एक खिलाड़ी के रूप में जो उपलब्धियां हासिल की हैं वो बेमिसाल हैं। भारतीय बैडमिंटन को दुनिया में पहचान दिलाने वाली साइना नेहवाल की छाया खेलकर सिंधू उनसे बड़ी खिलाड़ी बनकर ऊभरेंगी ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था लेकिन आज यह हकीकत है। सिंधू ने करियर में वो उपलब्धियां हासिल की जो साइना नेहवाल नहीं कर सकीं। 

पीवी सिंधू करियर की शुरुआत से ही अपनी छाप छोड़ना शुरू कर दिया था। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली छाप साल 2011 में लखनऊ में आयोजित एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में छोड़ी थी और बालिकाओं की एकल और मिक्स्ड डबल्स स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया था। मेडल का ये रंग सिंधू को पसंद नहीं आया और एक साल बाद दक्षिण कोरिया में आयोजित जूनियर चैंपियनशिप में एकल स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।

बनीं विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला
इसके बाद सिंधू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं। साल 2013 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया और विश्व चैंपियनशिप में कोई भी पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। इसके बाद वो लगातार परचम लहराती गईं। इसके बाद उन्होंने लगातार दूसरी बार साल 2014 में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया और वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो पदक जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी बनीं।

रियो ओलंपिक में लहराया परचम
साल 2015 में वो शानदार फॉर्म में थीं लेकिन विश्व चैंपियनशिप में लगातार तीसरा पदक जीतने से चूक गईं। लेकिन इस साल उन्होंने कई एकल खिताब अपने नाम किए। उन्होंने मकाउ ओपन में लगातार तीसरी बार खिताबी जीत हासिल की। साल 2016 की शुरुआत उनके लिए अच्छी रही और उन्होंने मलेशिया मास्टर्स का महिला एकल खिताब अपने नाम किया। साल 2016 में रियो में आयोजित ओलंपिक खेलों में सिंधू को नौवीं वरीयता दी गई थी। लेकिन उन्होंने शानदार प्रदर्शन करके इतिहास रच दिया और ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बनीं। फाइनल में स्पेनिश खिलाड़ी कैरोलीना मरीन के साथ कड़े मुकाबले में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा बावजूद इसके उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। 



लगातार जीते विश्व चैंपियनशिप में दो रजत
ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतमे के बाद सिंधू ने 2017 और 2018 में विश्व चैंपियनशिप में लगातार दो बार सिल्वर मेडल जीते। इस तरह धीरे धीरे उनका कद बड़ा होता चला गया। हालांकि एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में साइना नेहवाल उनकी राह में बाधा बनती रहीं। ऐसा लगने लगा कि वो किसी बड़ी स्पर्धा के फाइनल में सिल्वर लाइन ही खींच पाएंगी लेकिन इसे भी उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से गलत साबित कर दिखाया और साल 2019 में बासेल में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में महिला एकल का खिताब अपने नाम कर लिया। ये उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। वो बैडमिंटन की विश्व चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी थीं। 

अधूरे हैं ये दो ख्वाब
पीवी सिंधू ने ओलंपिक में पदक जीतने के लिए 8 महीने अपने मोबाइल फोन को हाथ नहीं लगाया था और मीठा खाना भी छोड़ दिया था। उन्होंने अपने अधिकांश सपने पूरे कर लिए हैं लेकिन दो उनके दो ख्वाब अधूरे हैं। सिंधू ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के साथ-साथ दुनिया की नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी बनना चाहती हैं। बीडब्लूएफ रैंकिंग में वो अबतक केवल नंबर दो तक पहुंच सकी हैं। जबकि साइना नेहवाल दुनिया की नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी हैं। कोरोना का कहर थमने के बाद जब दोबारा खेल गतिविधियां सामान्य होंगी तब पीवी सिंधू सबसे पहले अपने इन्हीं सपनों को पूरा करने की कोशिश में जुटी नजर आएंगी। पूरा देश उनकी इन दो सफलताओं का जश्न मनाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा होगा। 

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