''मेरे लिए हिंदू-मुस्लिम मायने नहीं रखता'', आखिर विश्व चैंपियन मुक्केबाज निकहत ने क्यों कही ये बात

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भाषा
Updated Jun 13, 2022 | 21:01 IST

Nikhat Zareen on Representing Country: भारत की स्टार मुक्केबाज निकहत जरीन का कहना है कि वह किसी समुदाय का नहीं बल्कि देश का प्रतिनिधित्व करती हैं।

Nikhat Zareen
निकहत जरीन  |  तस्वीर साभार: Twitter

नई दिल्ली: विश्व चैंपियन मुक्केबाज निकहत जरीन ने  कहा कि वह किसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने की जगह भारत का प्रतिनिधित्व करती है। जरीन से सोमवार को यहां पूछा गया कि लोग कड़ी मेहनत और रिंग में उपलब्धियों से ज्यादा उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि के बारे में बात करते है तो उन्होंने कहा कि उनके लिए हिन्दू-मुस्लिम मायने नहीं रखता। रूढ़िवादी समाज से ताल्लुक रखने वाली जरीन को मुक्केबाजी में करियर बनाने के लिए सामाजिक पूर्वाग्रहों से निपटना पड़ा लेकिन इस 25 साल की खिलाड़ी ने स्पष्ट किया कि वह किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं भारत के लिए खेलती और जीतती है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक खिलाड़ी के तौर पर मैं भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं। मेरे लिए हिंदू-मुस्लिम मायने नहीं रखता है। मैं किसी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करती हूं, मैं देश का प्रतिनिधित्व करती हूं और देश के लिए पदक जीतकर खुश हूं।’’ इंडियन वुमैन प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) द्वारा आयोजित बातचीत में जरीन ने बड़े स्तर पर ‘मानसिक दबाव’ से निपटने के मामले में भारतीय खिलाड़ी थोड़े पीछे है और वैश्विक मंच पर अच्छा करने के लिए इसमें प्रशिक्षण की जरूरत है। भारतीय खिलाड़ी नियमित आयोजनों में अच्छा प्रदर्शन करते है लेकिन ओलंपिक या विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े मंच पर लड़खड़ा जाते हैं।

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निकहत से जब पूछा गया कि भारतीय मुक्केबाजों में कहां कमी है, तो उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय मुक्केबाज बहुत प्रतिभाशाली हैं, हम किसी से कम नहीं हैं। हमारे पास ताकत, गति और जरूरी कौशल के साथ सब कुछ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बस एक बार जब आप उस (विश्व) स्तर पर पहुंच जाते हैं, तो मुक्केबाजों को मानसिक दबाव को संभालने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।’’ तेलंगाना की इस 25 साल की मुक्केबाज ने कहा, ‘‘बड़े मंच पर पहुंचने के बाद बहुत सारे खिलाड़ी दबाव में आ जाते हैं और वे प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।’’ 

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पिछले महीने ‘फ्लाईवेट’ स्पर्धा में विश्व चैम्पियन बनी जरीन ने 28 जुलाई से शुरू हो रहे बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भी भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है। जरीन के भार वर्ग में दिग्गज मैरीकॉम के होने के कारण उन्हें अपनी बारी के लिए इंतजार करना पड़ा लेकिन उन्होंने कहा कि इससे खेल में अच्छा करने की उनकी ललक और बढ़ी है। इस मुक्केबाज कहा, ‘‘सिर्फ मेरे लिए ही नहीं बल्कि इस भार वर्ग के अन्य मुक्केबाजों भी मौके की तलाश में थे, लेकिन आपको इसके लिए साबित करना होता है और मैंने विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतकर ऐसा किया है।’’

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