Neeraj Chopra: टोक्यो ओलंपिक से भारत के लिए बड़ी खबर सामने आई है। जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीत लिया है। भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक से ये पहला गोल्ड मेडल है। नीरज चोपड़ा ने दूसरे थ्रो में 87.58 मीटर दूर भाला फेंककर पहला स्थान हासिल किया। नीरज ने देश को दूसरा व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाया है। इस तरह देश को एथलेटिक्स में पहला ओलंपिक पदक मिला। टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अभी तक कुल 7 पदक जीत लिए हैं। भारत ने इस तरह से एक ओलंपिक में सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड बना लिया है।
नीरज ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर लगाया और इसका जश्न मनाया। नीरज को ओलंपिक से पहले ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है और इस 23 वर्षीय एथलीट ने अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करते हुए क्वालीफिकेशन में अपने पहले प्रयास में 86.59 मीटर भाला फेंककर शीर्ष पर रहकर फाइनल में जगह बनाई थी। चेक गणराज्य के जाकुब वादलेच ने 86.67 मीटर भाला फेंककर रजत जबकि उन्हीं के देश के वितेजस्लाव वेस्ली ने 85.44 मीटर की दूरी तक भाला फेंका और कांस्य पदक हासिल किया।
नीरज भारत की तरफ से व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, 'टोक्यो में हरियाणा के छोरे ने लठ गाड़ दिया और भाले वाला लठ गाड़ दिया। अपेक्षा के अनुरूप हमें गोल्ड मिला। नीरज चोपड़ा को हमारी नीति के अनुसार 6 करोड़ रुपए और पहली श्रेणी की नौकरी दी जाएगी। हम पंचकूला में एथलीटों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का निर्माण करेंगे, जहां वह चाहें तो प्रमुख होंगे। उसे अन्य खिलाड़ियों की तरह 50% रियायत के साथ प्लॉट दिया जाएगा।'
नीरज के पिता सतीश कुमार बताते हैं की बहुत संघर्षों के बाद उनका बेटा आज वहां तक पहुंचा है। घर की आर्थिक स्थिति शुरू में अच्छी नहीं थी, खेती से जो पैसे आते थे उसी से नीरज की ट्रेनिंग होती थी। दादा धरम सिंह बताते हैं, 'नीरज को खाने में चूरमा, दही, दूध बहुत पसंद हैं और जब भी गांव आता हैं तो नीरज यही खाने की मांग करता है। नीरज गांव में ट्रेनिंग की उसके बाद पंचकुला, चंडीगढ़ हर जगह बढ़ता हुआ आज टोक्यो तक पहुंचा है।
नीरज चोपड़ा को जानिए
नीरज हरियाणा के पानीपत के रहने वाले हैं। 24 दिसंबर 1997 को किसान परिवार में जन्म हुआ। चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की। नीरज को बचपन में कबड्डी, वॉलीबॉल से लगाव था। उन्होंने 14 साल की उम्र में जैवलिन खेलना शुरू किया। 2016 में IAAAF चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। उन्हें सेना में अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया। नीरज ने 2016 के साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड जीता, 2016 में एशियन जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद 2017 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड, 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। दोहा डायमंड लीग में गोल्ड मेडल जीता। नीरज को 2018 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया।