अपनी 'सास' से इतना प्यार कि  11 बहुओं ने बनवा डाला 'सास का मंदिर',रोज करती हैं पूजा-आरती

सास-बहू के रिश्ते की तकरार से आप भली भाति परिचित होंगे, लेकिन ऐसे दौर में सास का मंदिर बनाकर उसकी पूजा और आरती करने की बात सुनाई दे तो सहसा ही विश्वास नहीं होता है।

mother-in-law's temple adorned with gold ornaments perform aarti every day in Bilaspur Chhattisgarh
बहुओं ने अपनी सास की याद में उनका मंदिर बनवाया वहीं सास की मूर्ति का श्रृंगार सोने के गहनों से किया (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से ऐसी खबर सामने आई है जिसपर इस दौर में तो कम से कम विश्वास करना मुश्किल सा ही लगता है, जी हां यहां सास-बहू के रिश्तों का ऐसा सुंदर मेल सामने आया है जिसे जानकर आप हैरान रह जायेंगे क्योंकि अमूमन सास बहू का रिश्ता भारत में थोड़ा तनातनी वाला माना जाता है और अक्सर ही तकरार की खबरें सामने आती रहती हैं, लेकिन यहां स्थिति थोड़ी जुदा है।

बिलासपुर में रहने वाली 11 बहुओं ने अपनी सास का मंदिर बनवाया। साथ ही, उसका श्रृंगार सोने के गहनों से किया और रोजाना पूजा-आरती भी करती हैं। बताते हैं कि ये सभी बहुएं महीने में एक बार मंदिर के सामने बैठकर भजन-कीर्तन भी करती हैं। बिलासपुर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर रतनपुर गांव है, यहां महामाया देवी का मंदिर बना हुआ है, जिसे साल 2010 से बनवाया गया था यह मंदिर गीता देवी नाम की महिला का है जिनका सवर्गवास साल 2010 में हो गया था इस मंदिर को उनकी 11 बहुओं ने बनवाया। 

सास की मूर्ति का श्रृंगार सोने के गहनों से किया

उनकी बहुओं ने अपनी सास की याद में उनका मंदिर बनवाया वहीं सास की मूर्ति का श्रृंगार सोने के गहनों से किया। लोग बताते हैं कि गीता देवी की सभी बहुएं उनके मंदिर में रोजाना पूजा-अर्चना करती हैं इसके अलावा हर महीने भजन-कीर्तन भी किया जाता है। गौरतलब है कि रतनपुर गांव में रिटायर्ड टीचर शिवप्रसाद तंबोली का संयुक्त परिवार रहता है उनकी ही पत्नी गीता देवी का ये मंदिर है,इस परिवार में कुल 39 सदस्य हैं, 2010 में गीता देवी का निधन हो गया था, उनकी मौत का दुख आज भी उनके पूरे परिवार को सालता है।

इस प्यार की वजह भी साफ है लोगों का कहना है कि जब वह जीवित थीं तो अपनी सभी बहुओं से बेहद प्यार करती थीं और उन्हें अपनी बेटियों की तरह स्नेह करती थीं। बहुओं को अपनी सास के गुजरने के बाद उनकी याद सताने लगी तो उन्होंने उनके लिए मंदिर बनवाने और रोज पूजा करने की सोची इस प्रकार ये मंदिर सामने आया।

तंबोली परिवार की सभी बहुएं पढ़ी-लिखी हैं

गीता देवी की तीन बहुएं हैं और उनकी देवरानियां भी हैं, उन सभी ने कहा कि गीता देवी उन्हें बहू या देवरानी की तरह नहीं बहन की तरह प्यार करती थीं और हर काम बहुओं और देवरानियों से सलाह लेकर ही किया करती थीं, इसलिए सभी उनको बहुत मिस करते हैं। तंबोली परिवार की सभी बहुएं पढ़ी-लिखी हैं. सभी पोस्ट ग्रेजुएट हैं और वो घर के कारोबार का हिसाब-किताब रखने में मदद करती हैं।

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