2 june ki roti: आज की तारीख बेहद खास है, क्योंकि दो जून है। इस तारीख को लेकर एक कहावत काफी प्रचलित है। 'दो जून की रोटी' बड़े ही नसीब वालों को मिलती है। इस तारीख के आने से पहले ही सोशल मीडिया पर 'दो जून की रोटी' की ट्रेंड करने लगता है और लोग अपने-अपने अंदाज में इस पर रिएक्शन देते हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस कहावतें और जोक्स की बौछार कर देते हैं। लेकिन, सबसे पहले ये जान लीजिए इस कहावत का सही मायने में क्या अर्थ है?
दो जून का मतलब है एक दिन में दो टाइम का सही से खाना मिलना। जिन लोगों को दो वक्त का खाना मिल जाता है उसे लोग खुशनसीब समझते हैं। तभी लोग कहते हैं 'दो जून की रोटी' मिल रही है ना। क्योंकि, कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो मेहनत-मजदूरी तो करते हैं इसके बावजूद भी उन्हें दो वक्त का खाना नसीब नहीं होता। इस कहावत को मुंशी प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद जैसे बड़े साहित्यकारों ने भी अपनी रचनाओं में भरपूर इस्तेमाल किया था। प्रेमचंद की कहानी 'नमक का दरोगा' में इस लोकोक्ति का जिक्र किया गया है। जानकारों का कहना है कि जून का महीना गर्मी का होता है और इस महीने में अक्सर सूखा पड़ता है। जिसके कारण चारे और पानी की कमी हो जाती है। जिन इलाकों में इस तरह के हालात होते हैं, वहां दो वक्त की रोटी के लिए लोगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। लिहाजा, ये कहावत काफी प्रचलित हो गया। ट्विटर पर भी #2 जून की रोटी ट्रेंड कर रहा है और इस हैशटैग के जरिए लोग अपने-अपने अंदाज में इस पर रिएक्शन दे रहे हैं। तो आइए, देखते हैं दो जून की रोटी पर लोगों का क्या कहना है?