छत्तीसगढ़: कोरबा में 800 किलो गाय का गोबर हुआ चोरी, चोरों की तलाश में जुटी पुलिस

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के एक गांव में गोबर चोरी की अनूठी घटना सामने आई है। यहां गाय का करीब 800 किलो गोबर चोरी हो गया। फिलहाल पुलिस चोरों को तलाश रही है।

800 kg cow dung worth Rs 1,600 stolen in Korba, Chhattisgarh, police registers case
छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले के एक गांव से गाय का गोबर चोरी (प्रतीकात्मक तस्वीर) 
मुख्य बातें
  • छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले के एक गांव से गाय का गोबर चोरी
  • चोरों ने कोरबा जिले के  धुरेना गांव से 800 किलो गाय का गोबर किया चोरी
  • पुलिस ने केस दर्ज कर शुरू की चोरों की तलाश

कोरबा: आपने पैसा, धन, दौलत, गाड़ी या अन्य कीमती सामान चोरी की बहुत सी घटनाओं के बारे में सुना होगा या देखा लेकिन क्या कभी आपने गोबर चोरी के बारे में सुना है? शायद नहीं सुना होगा, लेकिन हम आपको गोबर चोरी की सच्ची घटना के बारे में बता रहे हैं। गाय के गोबर चोरी की यह घटना छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हुई है जहां चोरों ने धुरेना गांव से करीब 800 किलो गोबर चोरी कर लिया जिसकी कीमत 1600 रुपये है।

दर्ज हुई शिकायत
खबर के मुताबिक गांव के गौधन समीति के मुखिया ने 15 जून को इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और बताया कि चोरों ने गांव से करीब 800 किलो से अधिक गोबर चोरी कर लिया है। उन्होंने पुलिस से इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने की मांग करते हुए चोरों की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए अपनी तहकीकात शुरू कर दी है।

दो रुपये किलो खरीदा जाता है गोबर
दरअसल छत्तीसगढ़ देश का ऐसा राज्य है जहां गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) के तहत गाय का गोबर दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता  है। राज्य की भूपेश बघेल की सरकार ने जुलाई 2020 में इस योजना की शुरूआत की थी जिसके तहत गांव वालों से गाय का गोबर 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है। इस योजना ने खूब सुर्खियां बंटोरी थी और इसका सीधा फायदा गांव में रहने वाले पशुपालकों को मिल रहा है।

क्या होता है खरीदे गए गोबर से
सरकार इस गोबर को खरीदकर इससे कंपोस्ट खाद बनाती और किसानों को न्यूनतम कीमत पर जैविक खाद उपलब्ध कराई जाती है। सरकार की इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की आय में बढ़ोत्तरी करने के साथ- साथ जैविक खेती को बढ़ावा देना है। इस योजना से ग्रामीण स्तर पर भी रोजगार के नए अवसर खुले। 

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