नई दिल्ली: कोरोना संकट ने हमारी दिनचर्या को पूरी तरह से बदल के रख दिया है। इस संकट की वजह से भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व प्रभावित रहा है। कोरोना की रफ्तार थामने के लिए भारत सहित दुनिया के कई देशों ने लॉकडाउन को अपनाया जिस वजह से कई लोग घरों में कैद हो गए और बाहर निकलना बंद कर दिया। इस संकट की वजह से कई छोटे और लघु उद्योग पूरी तरह बंद हो गए जबकि कई जगहों पर कारोबार ठप हो गया जिसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। ऐसा ही वाकया एक पायलट के साथ भी हुआ जो कभी आसमान की ऊंचाइयों को नापता था वो आज घर-घर जाकर डिलीवरी ब्वॉय के रूप में काम कर रहा है।
चार सालों से है पायलट
थाइलैंड के रहने वाले इस 42 साल के पायलट का नाम नकारिन इंटा है जो पिछले 4 सालों से एक कमर्शियल पायलट के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन इंटा पर कोरोना की मार ऐसी पड़ी कि वह एक पायलट से फूड डिलीवरी ब्वॉय बन गए। खुद इंटा ने इसका खुलासा किया है और एक टीवी चैनल को दिए इटरव्यू में इंटा ने खुलासा किया कि कैसे एक झटके में उनकी नौकरी चले गई और वो बेरोजागर हो गए।
अधिकांश कर्मचारी निकाले
इस बारे में बात करते हुए इंटा ने बताया, 'एयरलाइंस ने अपने अधिकांश कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया है। हालांकि, जिन कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है उसमें इतनी कटौती कर दी गई है कि वह बेहद कम है। और हां, कई कर्मचारियों को तो निकाल भी दिया गया है। इस मुश्किल समय में, मेरे कई सहयोगी दूसरा काम कर रहे हैं। हर कोई काम पर लौटने का इंतजार कर रहा है। उनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें निकाल दिया गया है। जो ड्यूटी पर जा रहे हैं केवल आवश्यक उड़ान के लिए पैसे दिए जा रहे हैं।'
6 लाख रुपये था वेतन
इंटा ने इस इटरव्यू के दौरान खुलासा करते हुए बताया कि एक पायलट के तौर पर वह महीने में 4 से 6 लाख रुपये कमाते थे। लेकिन कोरोना संकट के दौरान, उनके लिए 2 हजार रुपये कमाना भी एक बड़ी बात हो गई है। इंटा बताते हैं, 'मुझे अपने साथियों, कैप्टन, केबिन क्रू और अन्य कर्मचारियों की याद आती है। और हां, जब यादों की यह भावना मुझ पर हावी हो जाती है, तो मैं आसमान में उड़ते हुए जहाज की तरफ देखने लगता हूं। एक डिलीवरी बॉय के रूप में काम करते हुए मुझे जब पहली बार ऑर्डर मिला तो मैं एक ग्राहक के पास पहुंचा जो बिल्कुल अगल तरह का अनुभव था। हालांकि मैं फिर से आकाश में उड़ने की प्रतीक्षा कर रहा हूं क्योंकि पायलट बनना मेरा बचपन का सपना था।'