येरेवान (आर्मीनिया) : अलगाववादी क्षेत्र नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र के लिए हुए संघर्षविराम समझौते के बाद आर्मीनिया में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच विदेश मंत्री ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। इस समझौते के तहत यह क्षेत्र आजरबैजान को सौंपना है। रूसी मध्यस्थता में हुए एक समझौता के तहत आजरबैजान के नागोर्नो-काराबाख इलाके में युद्ध रोकने पर सहमति जताई थी।
छह सप्ताह तक चली लड़ाई
छह सप्ताह की लड़ाई में सैंकड़ों लोग मारे गए। आशंका तो यह भी जताई जा रही है कि यह संख्या हजारों में हो सकती है। वहीं इस समझौते में यह शर्त रखी गई कि आर्मीनिया नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र की सीमा के बाहर कुछ इलाकों में नियंत्रण रखता है, उसे वह आजरबैजान को सौंपना होगा।
आजरबैजान के अंतर्गत है नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र
नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र आजरबैजान के अंतर्गत है, लेकिन 1994 में हुए अलगाववादी जंग के बाद से आर्मीनिया की मदद से इस पर स्थानीय आर्मीनियाई जातीय बलों का नियंत्रण है। इस युद्ध के बाद न केवल नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र आर्मीनिया के हाथों में आ गया था बल्कि आसपास का भी क्षेत्र इसके हिस्से में आ गया।
शांति समझौते के खिलाफ आर्मीनिया के लोग
हालांकि इस शांति समझौते का आजरबैजान में जश्न मनाया गया लेकिन आर्मीनिया में हजारों लोग इसके खिलाफ सड़क पर निकल आए और प्रधानमंत्री निकोल पशीनइन से इस्तीफा की मांग की क्योंकि उनका कहना है कि यह समझौता अवैध है।
फेसबुक पर दिया इस्तीफा
सोमवार को विदेश मंत्री जोहराब मनात्साकनयन की प्रवक्ता ने उनके इस्तीफे की घोषणा की। संसद में पशीनइन ने कहा था कि उन्होंने विदेश मंत्री को बर्खास्त करने का निर्णय लिया है, इसके कुछ समय बाद ही फेसबुक पर विदेश मंत्री की प्रवक्ता ने उनका हस्तलिखित इस्तीफा फेसबुक पर पोस्ट किया।