कैनबरा : पुराने घरों, बगीचों में मकड़ियों का जाल हम सभी ने देखा है। इसमें कोई हैरानी वाली या नई बात नहीं है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में मकड़ियों का जाल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया का गिप्सलैंड इलाका इन दिनों मकड़ियों (स्पाइडर) के जाल से अटा पड़ा है। चारो तरफ हल्की सफेद रंग की चादर सी बिछी हुई है। विक्टोरिया प्रांत के इस इलाके में लाखों की संख्या में मकड़ियों ने अपना ऐसा जाल फैलाया कि लोग इसे देखकर हैरान हैं। मकड़ियों का यह अद्भुत जाल पेड़, मैदान, सड़क और झाड़ियों तक फैला है। हवा चलने पर मकड़ियों का यह जाल सफेद चादर की हिलता है। हालांकि, जानकार इससे लोगों को कोई खतरा नहीं बता रहे हैं।
बाढ़ से बचने के लिए ऊंचे स्थानों पर आईं मकड़ियां
दरअसल, गिप्सलैंड इलाके में भारी बारिश होने की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। बाढ़ के पानी से बचने और खुद को सुरक्षित करने के लिए मकड़ियों ने ऊंचे स्थानों की तरफ रुख किया। इसके लिए उन्होंने 'बैलूनिंग' की। किसी स्थान विशेष से निकलने के लिए मकड़ियां 'बैलूनिंग' करती हैं। इस 'बैलूनिंग' में वे अपने अंदर से एक तरह का पदार्थ निकालती हैं जो धागे की तरह होता है। उनकी ओर से फेंका गया यह धागा आसपास की वनस्पतियों से चिपकता जाता है।
लाखों मकड़ियां एक साथ ऊंचे स्थानों पर गईं
पिछले सप्ताह विक्टोरिया में भारी बारिश हुई और तेज हवाएं चलीं। इससे राज्य में बाढ़ आई और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। इससे बचने के लिए मकड़ियां आस-पास के पेड़ों और उंची स्थान वाली जगहों पर जाने लगीं। खास बात यह है कि ऊंचे स्थानों पर लाखों मकड़ियों की जाने की यह घटना एक साथ हुई। निचले स्थानों से ऊपरी स्थानों पर जाने की प्रक्रिया में इन मकड़ियों ने अपने जाल का ऐसा वितान ताना कि गिप्सलैंड का एक पूरे इलाके में उनका जाल फैल गया है। एक जगह जाल का दायरा एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक है। बताया जा रहा है कि मकड़ियों का यह जाल एक सप्ताह के बाद समाप्त हो जाएगा।
जाल के सहारे तय कर लेती हैं 100 किमी का सफर
विक्टोरिया प्रांत में मकड़ियों के जाल बनने की यह घटना सामान्य रूप से सर्दी के समय होती है। इस समय ऑस्ट्रेलिया में सर्वाधिक बारिश होती है। बारिश होने पर मकड़ियां इस तरह का पतला एवं नाजुक जाल बुनती हैं, इनके सहारे वे हवा के झोकों से करीब 100 किलोमीटर की दूरी तय कर लेती हैं। हवा से भी हल्का होने की वजह से यह जाल पेड़, लंबी घास और रोड पर बने प्रतीक चिह्नों से लिपट जाता है। इसके सहारे मकड़ियां को ऊपर चढ़ने में मदद मिलती है।
ऑस्ट्रेलिया में 'माउस प्लेग' से भी पहुंचा नुकसान
विषय के जानकार मानते हैं कि ये मकड़ियां मनुष्यों को नुकसान पहुंचाने वाली नहीं हैं लेकिन इन्ही की प्रजाति की अन्य मकड़ियां काफी खतरनाक मानी जाती हैं। बताया जाता है कि मकड़ियों के काटे जाने की वजह से साल 2000 से 2013 के बीच करीब 12,600 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया में इस साल चूहों का प्रकोप भी देखने को मिला। देश के पूर्वी इलाके में फैले 'माउस प्लेग' ने किसानों का भारी नुकसान किया।