नई दिल्ली: लॉकडाउन में गुरुग्राम में फंसे अपने पिता को साइकिल पर पीछे गुरुग्राम से बिठाकर दरभंगा लेकर आने वाली ज्योति ने हौसले नई इबारत लिखी है उसकी देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी चर्चा हो रही है, यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने भी ज्योति की तारीफ करते हुए ट्वीट किया है, वहीं साइकिल से इतना बड़ा काम करने वाली ज्योति सहायता मिलने पर अब साइकिलिंग का गोल्ड मेडल जीतने की बात कह रही है।
मीडिया में ज्योति की खबर आने के बाद उसे लोगों की खासी तारीफ मिल रही है वहीं लोग उसकी हौसला आफजाई भी कर रहे हैं, और कई जगह से उनकी मदद के लिए अपना हाथ भी बढ़े हैं, इनमें से एक हाथ साइकिलिंग फेडरेशन का भी है।
इतनी हौसला आफजाई से ज्योति का मनोबल बढ़ गया है और उसका कहना है कि वह लॉकडाउन के बाद दिल्ली जाकर टेस्ट देगी और मौका मिला तो वह साइकिलिंग में देश का प्रतिनिधित्व करना व गोल्ड मेडल जीतना चाहती है।
भारतीय साइकिलिंग महासंघ (CFI) के निदेशक वीएन सिंह ने कहा कि महासंघ हमेशा प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में रहता है और अगर ज्योति में क्षमता है तो उसकी पूरी मदद की जाएगी।उन्होंने कहा, 'हम तो ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में लगे रहते हैं और अगर लड़की में इस तरह की क्षमता है तो हम उसे जरूर मौका देंगे। आगे उसे ट्रेनिंग और कोचिंग शिविर में डाल सकते हैं। उससे पहले हालांकि हम उसको परखेंगे। अगर वह हमारे मापदंड पर खरी उतरती है तो उसकी पूरी सहायता करेंगे। विदेशों से आयात की गई साइकिल पर उसे ट्रेनिंग कराएंगे।'
वीएन सिंह ने स्वीकार किया कि 15 साल की बच्ची के लिए रोजाना 100 किमी से अधिक साइकिल चलाना आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा, '14-15 साल की बच्ची के लिए रोजाना 100-150 किमी साइकिल चलाना आसान नहीं है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भी ज्योति से खासी प्रभावित नजर आ रही हैं। भारतीय साइकिलिंग महासंघ (सीएफआई) द्वारा ज्योति को ट्रायल का मौका दिए जाने की बात सामने आने पर इवांका ने ट्वीट कर ज्योति के हौसले व साइकिलिंग महासंघ का भी जिक्र किया।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, '15 साल की ज्योति कुमारी अपने जख्मी पिता को साइकिल से लेकर सात दिनों में लगभग 1,200 किलोमीटर की दूरी तय करके अपने गांव पहुंची।' उन्होंने यह भी कहा कि एक लड़की की साहस और अपने पिता के प्रति प्रेम से पता चलता है कि भारतीय लोग किस जज्बे के साथ चुनौतियों का सामना करते हैं...
गौरतलब है कि गुरुग्राम में रिक्शा चालक पिता मोहसन पासवान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद ज्योति गुरुग्राम आकर उनकी देखभाल कर रही थी। इसी बीच लॉकडाउन की घोषणा हो गई। पिता साइकिल नहीं चला सकते थे, इसलिए ज्योति ने पिता को साइकिल पर गांव ले जाने का फैसला किया।
ज्योति ने पिता को साइकिल पर बिठाकर करीब 1200 किमी का सफर किया। आठ दिनों तक रोजाना सौ से डेढ़ सै किमी का सफर कर वह बिहार के दरभंगा पहुंची। मीडिया में खबर आने के बाद जिसने भी उसकी कहानी जानी या सुनी, उसके हिम्मत की सराहना की।